मोदी के एक फैसले से देश को हुआ करोड़ों का फायदा!

Webdunia
गुरुवार, 25 मई 2017 (15:44 IST)
नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी की सरकार को 26 मई को तीन साल पूरे हो जाएंगे। इन तीन सालों में सरकार की कामयाबियों और उपलब्धियों के बारे में बताया जाएगा। सरकार इन सबमें एक सबसे बड़ी उपलब्धि नोटबंदी को मानती है। 3 साल पूरे होने से ठीक एक दिन पहले मोदी सरकार की इस बड़ी उपलब्धि के बारे में बताया जाएगा। 
 
एक अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रिजर्व बैंक की ओर से अप्रैल में आए आकंड़ों को देखा जाए तो फिलहाल 14.2 लाख करोड़ के नोट चलन में हैं जबकि 8 नंवबर यानी नोटबंदी से पहले ये रकम करीब 17.77 लाख करोड़ थी। अगर इन आकंड़ों को देखा जाए तो इस वक्त अर्थव्यवस्था में नकदी की मौजूगी नोटबंदी न किए जाने की हालत के मुकाबले करीब 5 लाख करोड़ रुपए कम है, जो देश के लिए फायदेमंद है।

नहीं लगा भ्रष्टाचार का दाग : सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार पर तीन साल के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं लगा लेकिन पाकिस्तान, कश्मीर, महंगाई, बेरोजगारी और विदेशों से काला धन वापस लाने जैसे मसलों को लेकर उस पर विफलता के आरोप लगे।                      
वर्ष 2014 में 26 मई को अस्तित्व में आई मोदी सरकार ने नए भारत के निर्माण का संकल्प व्यक्त किया और सरकार की कार्य संस्कृति बदलने तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा उसने कई साहसिक निर्णय लेकर आलोचकों के मुंह बंद कर दिए। इनमें नोटबंदी, जीएसटी, रेल बजट को आम बजट में मिलाना, बजट पेश करने के समय बदलना तथा पाकिस्तान के विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक अहम हैं। 
 
सत्ता संभालते ही 'ना खाऊंगा न खाने दूंगा' का ऐलान करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगाने के लिए न केवल नोटबंदी के जरिए पांच सौ और एक हजार के नोट पर रोक लगाने का ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाया बल्कि बेनामी संपत्ति पर रोक लगाने और रियल एस्टेट कारोबार में पारदर्शिता लाने का कानून बनाया। उनके लगातार प्रयासों से देश नकदी रहित लेनदेन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा।
 
भ्रष्टाचार दूर करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए लेकिन वह अभी तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं कर पाई है जिससे उसे विपक्ष की आलोचना झेलनी पड़ रही है। विपक्ष में रहते आधार संख्या का विरोध करती रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सत्ता में आने के बाद आधार को कानूनी जामा पहनाया और पैन कार्ड के साथ-साथ अपनी सभी योजनाओं को इससे जोड़ दिया। इसके कारण निजता के हनन और व्यवहारिक दिक्कतों के चलते इसका विरोध हो रहा है और यह मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंच गया जहां अभी इस पर अंतिम फैसला आना बाकी है। 
 
सत्ता संभालते ही सरकार ने बड़े जोर-शोर से स्वच्छता मिशन से देशभर में साफ-सफाई के प्रति एक आंदोलन खड़ा किया तथा गरीब गुरबे को छत मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना, स्मार्ट सिटी योजना तथा गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाली ग्रामीण महिलाओं को उज्ज्वला कार्यक्रम के तहत मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन जैसी लोक कल्याणकारी योजनाएं शुरू की। इसके साथ ही देश को विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्किल इंडिया, डिजीटल इंडिया, स्टैन्डअप इंडिया, मुद्रा और जन धन योजना भी लाई गई।
      
मोदी सरकार ने गरीबों तथा आम आदमी की स्थिति सुधारने के लिए सरकारी नीतियों में फेरबदल कर कई नई नीतियां और योजनाएं बनाई जिनमें नई स्वास्थ्य नीति, सस्ते हवाई सफर के लिए उड़ान योजना और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति शामिल हैं। इसके अलावा शिक्षा क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए नई शिक्षा नीति बनाने का काम शुरू किया। देश की सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से सरकार ने रक्षा नीति को नया स्वरूप दिया। देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने तथा भारत की पहचान रक्षा उत्पाद खरीदने वाले देश के बजाय रक्षा उत्पाद निर्यात करने वाले देश के रूप में निखारने की दिशा में कई पहल की गई। मेक इन इंडिया योजना के तहत निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने वाले प्रोत्साहन कार्यक्रम लाए गए।
        
वायुसेना के निरंतर कम होते लड़ाकू विमानों के बेड़े को मजबूती देने के लिए फ्रांस से सरकार के स्तर पर राफेल विमानों की खरीद को अंतिम रूप दिया गया तो करीब तीन दशक बाद सेना को नई तोप मिलने का सिलसिला शुरू हुआ। नौसेना की समुद्री ताकत बढाने के लिए देश में ही पनडुब्बी बनाने की परियोजना शुरू हुई।             
मोदी सरकार के इन कदमों से मिल रही वाहवाही के बीच सरकार को पाकिस्तान, कश्मीर, महंगाई, बेरोजगारी और विदेश से कालाधन लाने के मद्दों पर लगातार विपक्ष के आरोपों का सामना करना पड़ा। कश्मीर में अपनी कट्टर विरोधी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ सरकार बनाकर भाजपा और मोदी ने एक नई शुरुआत करने का संकेत दिया था। उनकी सरकार ने इस दिशा में कई कदम भी उठाए लेकिन वहां स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ती चली गई।       
 
पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया और बिना निर्धारित कार्यक्रम के पाकिस्तान भी गए लेकिन पड़ोसी देश अपने नापाक इरादों से बाज नहीं आया। सीमापार से घुसपैठ और संघर्षविराम उल्लंघन की बढ़ती घटनाओं के चलते भारत को उसे कड़ा जवाब देने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का सहारा लेना पड़ा। विपक्ष का आरोप है कि पाकिस्तान और कश्मीर दोनों मसलों पर सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है।
      
महंगाई की दर सरकारी आंकड़ों में भले ही नियंत्रण में रही हो लेकिन आम आदमी को दाल जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी से परेशानी का सामना करना पड़ा। दाल की कीमतों में इन तीन सालों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई और उसने दो सौ रुपए किलो तक का आंकड़ा छू लिया था। 
 
इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को आनन-फानन में इसके आयात का निर्णय लेना पड़ा और दलहन को बढ़ावा देने के कदम उठाने पड़े जिसका असर अब दिखने लगा है। बेराजगारी को लेकर सरकार अब भी विपक्ष के निशाने पर है। उसका कहना है कि सरकार ने हर वर्ष दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था लेकिन वह इसका कुछ प्रतिशत भी पूरा नहीं कर पाई है। 
 
विपक्ष का यह भी आरोप है कि चुनाव के दौरान भाजपा ने कालेधन को बड़ा मुद्दा बनाया था और खुद मोदी ने कहा था कि कालाधन वापस लाकर हर नागरिक के खाते में 15-15 लाख जमा कराए जाएंगे लेकिन यह सरकार कालाधन लाने में पूरी तरह नाकाम रही है। तीन साल के कार्यकाल के दौरान देश में 'राष्ट्रभक्ति' बनाम 'देशद्रोह' की बहस भी छिड़ी तथा असहिष्णुता के मुद्दे पर कई लेखकों तथा कलाकारों ने पुरस्कार वापस कर सरकार के रुख के प्रति अपना असंतोष प्रकट किया।  (वार्ता)
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