उच्चतम न्यायालय ने मार्कण्डेय काटजू को अवमानना नोटिस जारी किया

Webdunia
शुक्रवार, 11 नवंबर 2016 (21:21 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज अप्रत्याशित कार्रवाई करते हुए ‘असंयमित’ और न्यायपालिका को ‘बदनाम’ करने वाली भाषा का इस्तेमाल करने के मामले में अपने ही एक पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू को अवमानना नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति काटजू आज न्यायालय में पीठ के समक्ष उपस्थित हुए और उनकी उसके साथ तीखी झड़प हुई।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि हाल ही में एक ब्लाग में काटजू का बयान फैसले पर नहीं,  बल्कि न्यायाधीशों पर गंभीर हमले जैसा है और इसलिए उन्हें अवमानना नोटिस दिया जा रहा है। काटजू ने इस फैसले का प्रतिवाद किया और कहा कि न्यायाधीश उन्हें धमकी दे रहे हैं और यह उनके लिए शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश के साथ इस तरह का आचरण करना उचित नहीं है।
 
न्यायमूर्ति गोगोई ने न्यायालय के उत्तेजनापूर्ण माहौल में जैसे ही अपना आदेश सुनाया तो काटजू ने कहा,‘मैं इससे डरता नहीं हूं। मुझे धमकी मत दीजिए।’ इस पर न्यायमूर्ति गोगोई ने काटजू को चेतावनी देते हुए कहा, ‘मुझे और अधिक उकसाए नहीं।’ इस पर काटजू ने कहा, ‘आप इस तरह की धमकी देकर मुझे भड़का रहे हैं। आपने मुझे यहां आने और आपकी मदद करने का अनुरोध किया था।’ 
 
इस पर न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘क्या यहां पर कोई है जो न्यायमूर्ति काटजू को (बाहर) ले जाए। काटजू ने पलट कर जवाब दिया, ‘यह कैसा आचरण है। आपके अनुरोध पर ही मैं यहां आया था। क्या मुझसे पेश आने का यही तरीका है। इसके बावजूद, खंडपीठ ने अपना आदेश लिखाना जारी रखा और कहा कि पहली नजर में बयान (काटजू का) न्यायाधीशों पर गंभीर हमले जैसा है न कि फैसले पर, इसलिए अवमानना नोटिस दिया जा रहा है। 
 
'सौम्या हत्याकांड' में आरोपियों को हत्या के आरोप से बरी करने के फैसले के खिलाफ केरल सरकार और मृतक की मां की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के बाद अवमानना का मसला उठा। न्यायमूर्ति काटजू को न्यायालय ने तलब किया था क्योंकि उन्होंने अपने ब्लाग में दावा किया था कि सौम्या हत्याकांड के आरोपियों को बरी करने के फैसले में त्रुटियां हैं और उनसे पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ की मदद का अनुरोध किया गया था।
 
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति काटजू ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को इस तरह से आचरण नहीं करना चाहिए और यह उनके लिए धमकी जैसा है। न्यायमूर्ति गोगोई जब अपना यह आदेश सुना चुके कि क्यों नहीं उनके खिलाफ न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए तो काटजू ने कहा, ‘मेरे साथ मजाकिया बनने की कोशिश मत कीजिए। मैं यहां आपके अनुरोध पर आया। मेरे साथ इस तरह पेश मत आइए।
 
शीर्ष अदालत ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी का दृष्टिकोण जानने के बाद काटजू को नोटिस जारी किया। रोहतगी को काटजू के ब्लाग की एक प्रति दिखाई गयी थी जिसे उन्होंने ‘बदनाम’ करने वाला बताया था। इस कथन का संज्ञान लेते हुए पीठ ने कहा, ‘‘हम अवमानना नोटिस जारी कर रहे हैं।’ इससे हतप्रभ रोहतगी ने कहा कि उनकी राय उन्हें दिखाए गए ब्लाग में रेखांकित अंश तक ही सीमित थी और उन्होंने पूरा ब्लाग नहीं पढ़ा था।
 
अटार्नी जनरल ने कहा, ‘मैं अपना दृष्टिकोण बदल रहा हूं और मैं पूरा पेज पढ़ रहा हूं। रेखांकित अंश असंयमित है और इससे आगे कुछ नहीं।’ पीठ ने जब काटजू के ब्लाग के दूसरे हिस्से की ओर ध्यान आकर्षित किया जो रेखांकित नहीं किया गया था, तो रोहतगी ने कहा कि दूसरा अंश भी असंयमित हैं। न्यायमूर्ति काटजू ने बार बार दोहराया कि वह पीठ के समक्ष उपस्थित हुए हैं और उसे धमकी नहीं देनी चाहिए क्योंकि वह भी पीठ के वरिष्ठ सदस्य थे।
 
हालांकि, अवमानना का मामला लेने से पहले न्यायमूर्ति काटजू ने अटार्नी जनरलन के साथ खंडपीठ से सहयोग किया और यह बताने का प्रयास किया कि हत्या के आरोप में दोषियों को बरी करने में किस तरह से न्यायाधीशों ने गंभीर चूक की। काटजू ने कहा कि न्यायाधीशों ने एक निर्णय पर पहुंचने से पहले ‘कॉमन सेन्स’ का इस्तेमाल नहीं किया कि पीड़ित को मौत के लिए ढकेला गया क्योंकि दोषियों द्वारा उसे जख्मी किए जाने के बाद वह अर्धचेतन अवस्था में धीमी हुए ट्रेन से कूदी थी।
 
न्यायालय ने पिछले महीने ही न्यायमूर्ति काटजू से उपस्थित होने और इस फैसले की आलोचना करने संबंधी उनकी फेसबुक पोस्ट पर बहस के लिए कहा था जिसकी वजह से सौम्या बलात्कार मामले के आरोपी फांसी के फंदे से बच गए थे। इस मामले में आरोपियों को हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था।
 
न्यायालय ने काटजू से व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष पेश होने और फैसले में मौलिक खामी की ओर इंगित करने का अनुरोध किया था। इसके बाद काटजू ने ट्वीट किया था कि वह न्यायालय के समक्ष पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान उपस्थित होंगे। विशेषज्ञों का कहना था कि यह पहला मौका है जब शीर्ष अदालत ने अपने ही किसी न्यायाधीश को व्यक्तिगत रूप से किसी मामले में पेश होने के लिए कहा है।
 
न्यायमूर्ति काटजू ने फेसबुक पोस्ट में शीर्ष अदालत की यह कहते हुए आलोचना की थी कि उसने दोषी गोविन्दाचामी को इस मामले में हत्या का दोषी नहीं ठहरा कर गंभीर चूक की है। न्यायमूर्ति काटजू को नोटिस जारी करते समय न्यायालय ने सौम्या मामले में फैसले की आलोचना करने संबंधी उनकी पोस्ट का भी हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि यह दुखद है कि न्यायालय ने धारा 300 को ध्यान से नहीं पढ़ा। इस फैसले की पुनर्विचार याचिका पर खुले न्यायालय में सुनवाई की आवश्यकता है।
 
इस मसले पर एक अन्य पोस्ट में न्यायमूर्ति काटजू ने लिखा था, ‘मैं कहना चाहता हूं कि शीर्ष अदालत ने आरोपी को हत्या का दोषी नहीं ठहरा कर गलती की है और उसके फैसले पर इस सीमा तक पुनर्विचार की आवश्यकता है।' 
न्यायमूर्ति काटजू ने 15 सितंबर को अपनी एक अन्य पोस्ट में एक फरवरी, 2011 को 23 वर्षीय सौम्य से बलात्कार के जुर्म में गोविन्दाचामी की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने के फैसले की भी आलोचना की थी। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद केरल सरकार और सौम्या की मां ने न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। (भाषा) 

Rajkot Gaming Zone Fire: HC की फटकार के बाद सरकार का एक्शन, राजकोट के कमिश्नर सहित 6 IPS अधिकारियों का ट्रांसफर

क्यों INDIA गठबंधन बैठक में शामिल नहीं होंगी ममता बनर्जी, बताया कारण

Maruti Alto EV सस्ता और धमाकेदार मॉडल होने जा रहा है लॉन्च, जानिए क्या हो सकती है कीमत

Prajwal Revanna : सेक्स स्कैंडल में फंसे प्रज्वल रेवन्ना का पहला बयान, 31 मई को SIT के सामने आऊंगा

चक्रवाती तूफान रेमल का कहर, बंगाल में 15000 घर तबाह, 2 लोगों की मौत

दिल्ली में क्यों पड़ रही है जानलेवा गर्मी, नजफगढ़ में पारा 45 डिग्री सेल्सियस के पार

MP: रिश्तेदार का अपहरण कर राजस्थान ले गए, जबरन मूत्र पिलाया और महिला के कपड़े पहनाकर घुमाया, प्राथमिकी दर्ज

असम में चक्रवात रेमल से हुई भारी बारिश, 2 लोगों की मौत व 17 घायल

मैं बचपन में कप और प्लेट धोते हुए बड़ा हुआ हूं, PM मोदी ने फिर बताया चाय से रिश्ता

Lok Sabha Elections 2024 : काउंटिग से पहले PM मोदी यहां लगाएंगे 24 घंटे का ध्यान

अगला लेख