मुंबई। 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष लामबंद हो रहा है। विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर कई नाम सामने आ रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। साथ ही ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार पर चर्चा उठी है। प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टियों में विपक्षी नेताओं के अटकलों के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद प्रफुल्ल पटेल ने रविवार को कहा कि पार्टी प्रमुख शरद पवार न तो पीएम उम्मीदवार थे और न हैं। प्रफुल पटेल ने कहा कि शरद पवार विपक्ष और विचारधाराओं को एक साथ ला सकते हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी के आठवें राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन के बाद मीडिया से बात करते हुए पटेल ने कहा कि शरद पवार न तो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे और न ही उन्होंने ऐसा कोई बयान दिया है। हम वास्तविकता से अवगत हैं। हम अपनी सीमाओं के बारे में जानते हैं।
चीन के मुद्दे पर पीएम मोदी ने किया गुमराह : राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा और आरोप लगाया कि चीन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने देश को गुमराह किया है।
पवार ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राकांपा के 8वें राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि चीनी सेना ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया , लेकिन अब यह स्पष्ट है कि उन्होंने गलतबयानी की थी। उन्होने जोर दिया कि चीन के मसले पर मोदी सरकार की विफलता स्पष्ट है।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के रहते चीन ने भारतीय सीमा पर एलएसी का लगातार उल्लंघन किया। हम चीनी घुसपैठ के सामने मुखर होकर कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रहे हैं। अगर यह हमारी विफलता नहीं है तो क्या है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर सरकार पर हमला करते हुए पवार ने कहा कि सरकार का दावा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो गयी है जबकि देश बहुत अधिक मुद्रास्फीति और बेरोजगारी का सामना कर रहा है।उन्होने कहा कि केंद्र सरकार की गलत और तर्कहीन नीतियों के कारण आज महंगाई चरम पर है। वहीं रोजगार की समस्याओं के साथ-साथ देश की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ गयी हैं।
राकांपा नेता ने पार्टी कार्यकर्ताओं से केंद्र सरकार के कुकर्मों को चुनौती देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जुटने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। उन्हेंने कहा कि विपक्षी एकता इसकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। लोकतांत्रिक मूल्यों में लगातार गिरावट आ रही है, ऐसे में हमारे देश के युवाओं को आगे आना होगा। अब नयी पीढ़ी को लोकतांत्रिक तरीके से केंद्र सरकार के कुकर्मों के खिलाफ लड़ने के लिए नेतृत्व की भूमिका निभाने की जरूरत है।
पवार ने महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह देश में अपने चरम पर है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय 410 रुपये में उपलब्ध एलपीजी सिलेंडर के लिए अब 1100 रुपये देने पड़ रहे हैं। पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। इनके दाम बढ़ने से हर वस्तु की कीमत पर असर पड़ा है। खाद्य तेल, खाद्यान्नों और दवाइयों की कीमतें इतनी बढ़ गयी हैं कि आम आदमी इन्हें खरीदते वक्त पसीने-पसीने हो जा रहा है।
एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस साल 19 लाख युवाओं की नौकरियां दांव पर हैं ।देश में 40 लाख नौकरियों के लिए 31 लाख पद फिलहाल खाली हैं, लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के कारण युवाओं की उपेक्षा की जा रही है।
अधिवेशन के लिए दिल्ली आये सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं की सराहना करते हुए उन्होंने अपील की कि राकांपा को हर चुनौती को स्वीकार करना होगा और उन ताकतों के खिलाफ लड़ना होगा जो लोकतांत्रिक संस्थाओं को पंगु बना रही हैं।
पवार फिर बने अध्यक्ष : सम्मेलन में राकांपा की वरिष्ठ नेता सुप्रिया सुले, प्रफुल्ल पटेल, अजीत पवार, योगानंद शास्त्री और अन्य क्षेत्रों के नेता उपस्थित रहे। इससे पहले राकांपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में पवार को सर्वसम्मति से चार वर्षों के लिए फिर पार्टी अध्यक्ष चुना गया। वह 1999 से राकांपा के अध्यक्ष पद पर कायम हैं। उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर सर्वश्री पी ए संगमा और तारिक अनवर के साथ इस पार्टी का गठन किया था। कोरोना महामारी के कारण राकांपा राष्ट्रीय अधिवेशन दो वर्षों बाद हुआ है।