सूरदास से शायर बनने की प्रेरणा मिलीः निदा फ़ाज़ली

Webdunia
सोमवार, 8 फ़रवरी 2016 (15:10 IST)
मुम्बई। उर्दू के मशहूर शायर और फिल्म गीतकार निदा फ़ाज़ली  ने सूरदास की एक कविता से प्रभावित होकर शायर बनने का फैसला किया था। एक दिन निदा फ़ाज़ली  मंदिर के पास से गुजर रहे थे तभी उन्हें सूरदास की एक कविता सुनाई दी। कविता में राधा और कृष्ण की जुदाई का वर्णन था। निदा फ़ाज़ली  इस कविता को सुनकर इतने भावुक हो गए कि उन्होंने उसी क्षण फैसला कर लिया कि वह कवि के रूप में अपनी पहचान बनाएंगे।
12 अक्टूबर 1938 को दिल्ली में जन्मे निदा फ़ाज़ली  को शायरी विरासत में मिली थी। निदा फ़ाज़ली ने ग्वालियर कॉलेज से स्नातकोत्तर की शिक्षा पूरी की और अपने सपनों को एक नया रुप देने के लिए  वह साल 1964 में मुंबई आ गए। 
 
करीब दस साल तक मुंबई में संघर्ष करने के बाद 1980 में प्रदर्शित फिल्म आप तो ऐसे न थे में पार्श्व गायक मनहर उधास की आवाज में अपने गीत तू इस तरह से मेरी जिंदगी मे शामिल है की सफलता के बाद निदा फ़ाज़ली  कुछ हद तक गीतकार के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए।
 
फिल्म आहिस्ता-आहिस्ता के लिए निदा फ़ाज़ली  ने 'कभी किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता' गीत लिखा। आशा भोसले और भूपिंदर सिंह की आवाज में उनका यह गीत श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। 
 
गजल सम्राट जगजीत सिंह ने निदा फ़ाज़ली  के लिए कई गीत गाए, जिनमें 1999 मे प्रदर्शित फिल्म सरफरोश का यह गीत 'होश वालो को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है' भी शामिल है। (वार्ता)
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