निमिषा प्रिया की भारत सरकार से भी उम्मीदें खत्म, मौत की घड़ियां और करीब

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 14 जुलाई 2025 (13:25 IST)
Nimisha Priya sentenced to death in Yemen: यमन में काम करने गई केरल की नर्स निमिषा प्रिया की भारत सरकार से उम्मीदें अब खत्म हो गई हैं। दरअसल, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती। निमिषा मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी। ऐसे में ‍अब निमिषा की मौत टलने की संभावना नहीं के बराबर रह गई है। निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जाना है। 
 
सरकार ने कोर्ट में क्या कहा : निमिषा के बचने की संभवत: आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई है। केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा यमन में तलाल अब्दो मेहदी नामक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में दोषी पाई गई थी। सरकार की ओर से एटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती। इस मामले में उसकी अपनी सीमाएं हैं। अब निमिषा की एकमात्र उम्मीद तलाल का परिवार है, जो यदि ब्लड मनी की रकम स्वीकार कर लेता है तो निमिषा की जान बच सकती है।  ALSO READ: nimisha priya : कैसे बचेगी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की जान, क्या होती है ब्लड मनी, किन हालातों में रुक सकती है फांसी
 
क्या है निमिषा प्रिया का पूरा मामला : निमिषा 2008 में नर्स के रूप में काम करने के लिए केरल से यमन गई थीं। वहां उन्होंने एक क्लिनिक खोला था। यमन के कानून के मुताबिक उन्हें इस काम के लिए एक स्थानीय साझेदार रखना अनिवार्य था। उन्होंने तलाल अब्दो मेहदी नामक व्यक्ति को को अपना साझेदार बनाया। निमिषा का आरोप था कि मेहदी ने उन्हें मानसिक, शारीरिक और वित्तीय रूप से प्रताड़ित किया, उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और नकली विवाह प्रमाण पत्र भी बनवाए।
 
इस सबसे तंग आकर जुलाई 2017 में निमिषा ने कथित तौर पर मेहदी को बेहोशी की दवा दी ताकि वह अपना पासपोर्ट ले सकें। हालांकि, दवा की अधिक खुराक के कारण मेहदी की मौत हो गई। इसके बाद निमिषा पर मेहदी के शरीर के टुकड़े करने और उन्हें एक पानी की टंकी में डालने का भी आरोप लगा। मेहदी की मौत के एक महीने बाद निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया। 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी अंतिम अपील भी खारिज कर दी गई।
 
अब एकमात्र उम्मीद शेष : निमिषा को बचाने के लिए भारत सरकार, सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल और उनके परिवार द्वारा विभिन्न प्रयास किए गए। यमन के कानून के तहत 'ब्लड मनी' यानी दिय्याह के रूप में पीड़ित परिवार को 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपए) ब्लड मनी के रूप में देने की पेशकश की गई है, लेकिन अभी तक उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 

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