नई दिल्ली, रामकृष्ण मिशन में युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमे तीन सौ से अधिक युवा प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस युवा सम्मेलन के प्रमुख वक्ता स्वामी सर्वप्रियनंद, वेदांत सोसाइटी, मिनिस्टर इन चार्ज, न्यूयॉर्क थे।
स्वामी जी ने युवाओं को सम्बोधित करते हुऐ तीन बिन्दुओं पर अपना वक्तव्य केंद्रित किया- श्रद्धा, एकाग्रता और सेवा।
श्रद्धा विषय पर विचार रखते हुए उन्होंने कहा बिना अपने, अपने राष्ट्र और अपनी संस्कृति पर श्रद्धा रखे बिना कोई प्रगति नहीं कर सकता। फिर उन्होंने युवाओं को सलाह दी खुद की सच्चाई को स्वीकारने का अभ्यास करना चाहिए।
अपनी असफलता के लिए किसी और को दोष देने से काम नहीं चलेगा। गलतफहमियों के बीच जीने से भी काम नहीं चलेगा। खुद की जिम्मेदारी लेने का अभ्यास ही हमें आगे ले जाएगा।
खुद के बारे में निश्चय होना चाहिए कि हमें जीवन से क्या चाहिए। जब हम एक ऑटो भी लेते है तो हमें पता होता है कि हमें कहां जाना है पर अपने जीवन में हमें क्या चाहिए हमें पता नहीं होता।
युवाओं को अपने लक्ष्य के बारे में दृढ़ता और स्पष्टवादिता होनी चाहिए। दूसरों से जब हम अपने जीवन की तुलना करेंगे तो हम अपने आपको स्वीकार नहीं कर सकेंगे। स्वामी जी ने कहा योग, वेदांत, आयुर्वेद आदि ये पश्चिम को हमारी देन है इसलिए पश्चिम ने इसे स्वीकार किया, पर आजकल हम कुछ भी मूल रूप से नहीं सोचते है, इसलिए पश्चिम देशों में हमारा वह स्थान नहीं है जो हमें मिलना चाहिए।
एकाग्रता पर बोलते हुए स्वामी सर्वप्रियनंद जी ने कहा आईआईटी कानपुर और किसी अन्य साधारण इंजीनियरिंग कॉलेज में सिर्फ एक अंतर होता है, वह है वहां के छात्रों की एकाग्रता क्षमता।
स्वामी विवेकानंद ने कहा महान व्यक्ति और साधारण व्यक्ति में सिर्फ एक अंतर होता है वह है एकाग्रता का।
एकाग्र व्यक्ति कुछ भी हासिल कर सकता है। भारत के युवाओं की कठिन जीवन परिस्थितियों पर कहते हुए स्वामी सर्वप्रियनंद ने कहा हमारा भारतीय समाज युवाओं के प्रति क्षमाशील नहीं है।
यहां असफलता को दंडित किया जाता है। विदेशों में असफलता को दंडित किया जाता है। युवाओं से सेवा विषय पर बोलते हुए स्वामी सर्वप्रियनंद जी ने कहा सेवा का अर्थ स्वामी रंगनाथानंद ने समझाते हुए कहा है जब हम आंख बंद करे तो हमारे मन में शांति होनी चाहिए, जब हम आंख खोले तो हमारे मन में यह विचार आना चाहिए कि हम दूसरों के लिए क्या कर सकते है।
इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन, नई दिल्ली के सेक्रेटरी स्वामी शांतात्मानंद जी ने कहा हमें आज शिक्षा के प्रसार की आवश्यकता है। छात्रों में आत्मविश्वास जगाने की आवश्यकता है।
बिना आत्मविश्वास जगाए कोई विद्यार्थी अपने गुणों पर श्रद्धा नहीं उत्पन्न कर सकता है, बिना श्रद्धा के कोई युवा सफलता जीवन में हासिल नहीं कर सकता। देश में अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती हुई दूरी पर उन्होंने चिंता व्यक्त की। यह जानकारी माधवी श्री ने दी।