मोदी सरकार 2.0 का एक साल, कोरोना ने बिगाड़ी चाल, इन 5 मोर्चों पर किया संघर्ष

नृपेंद्र गुप्ता
शनिवार, 30 मई 2020 (11:28 IST)
नई दिल्ली। मोदी सरकार 2.0 को सत्ता में आए एक वर्ष हो गया है। सरकार के लिए यह साल काफी व्यस्तता भरा रहा। इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने राम मंदिर, ट्रिपल तलाक, धारा 370 के विशेष प्रावधानों की समाप्ति समेत कई बड़े निर्णय लिए। 
 
साल के पहले 7 माह मोदी सरकार के लिए लाजवाब रहे। सरकार समर्थकों ने दावा किया कि जो 70 साल में नहीं हुआ इस वर्ष हो गया। हालांकि 2020 की शुरुआत में देश में दस्तक देने वाले कोरोना संकट ने मोदी सरकार की राह में कांटे बिखेर दिए। आज इन 5 मोर्चों पर संघर्ष करती दिखी सरकार...
 
कोरोना से जंग : मोदी सरकार के पहले 7 माह के कार्यकाल पर बाद के 5 माह में मानो ग्रहण लग गया। सरकार को कोरोना से जंग छेड़नी पड़ी एक के बाद एक कर 4 लॉकडाउन लगाने पड़े। देश में आर्थिक गतिविधियां ठप हो गईं। करोड़ों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया और देश ने अब तक का सबसे बड़ा मजदूरों का पलायन देखा। सड़कों पर मजदूरों का रैला और उनकी दर्दभरी कहानियों से सभी की आंखें भर आई।
 
विदेशों से भी हवाई जहाज में भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए बड़ा अभियान चलाया गया। मई के अंत तक घरेलू उड़ानें भी शुरू हो गईं। हालांकि इससे देश भर में कोरोना के मरीज भी बढ़ गए। बहरहाल लॉकडाउन का असर कम हुआ और भारत में 29 मई तक 1 लाख 65 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज हो गए जबकि 4,706 लोग मारे गए।
 
आर्थिक मोर्चे पर संघर्ष : मोदी सरकार 2.0 के लिए यह साल आर्थिक मोर्चे पर संघर्ष भरा रहा। किसानों और मजदूरों के लिए कई घोषणाएं की गई। जीएसटी में भी कई बदलाव किए गए। बहरहाल विकास के पथ पर दौड़ते भारत की स्पीड पर कोरोना की वजह से अचानक ब्रेक लग गया। मुश्किल समय में सरकार ने 20 लाख करोड़ का पैकेज जारी किया।
 
वित्तमंत्री ने 5 दिन तक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बताया कि पैकेज में किसके लिए क्या है? बहरहाल आम लोगों को समझ ही नहीं आया कि इसमें किस वर्ग को कितनी राहत मिली। आने वाले वर्षों में मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक मोर्चे पर ही है। उसके सामने न सिर्फ उद्योग धंधों को जल्द से जल्द खड़ा करने की चुनौती है बल्कि उसे आम लोगों और गरीबों के रोजगार की भी चिंता करना है।
 
पीएम मोदी की चुप्पी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दूसरे कार्यकाल में बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। मोदीजी रैलियां करते हैं, मन की बात करते हैं, परियोजनाओं का शिलान्यास करते हैं, भाषण भी देते हैं लेकिन आश्चर्यजनक रूप से महत्वपूर्ण मामलों में चुप्पी साध लेते हैं।
 
पहले कार्यकाल के 5 सालों में जहां पीएम मोदी हर मुद्दे पर खुलकर बोलते दिखाई दिए। वहीं छठे वर्ष में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों पर चुप्पी साधे रखी। हाल ही में चीन और नेपाल के साथ हुए सीमा विवाद पर पीएम की चुप्पी पर भी विपक्ष ने सवाल उठाए। पिछले एक साल से आर्थिक मामले में मोदी की चुप्पी से भी राजनीतिक विश्लेषक हैरान है।
 
राज्यों से बढ़े मतभेद, विपक्ष खफा : मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच भी मतभेद बढ़ते दिखाई दिए। दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पुड्‍डुचेरी और जगहों पर मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों में कई मुद्दों पर विवाद की स्थिति बनीं। पश्चिम बंगाल में तो ममता बनर्जी और मोदी के मंत्रियों के बीच भी कई बार तनाव की स्थिति बनी। जीएसटी जैसे मुद्दों पर भी केंद्र और राज्य सरकारों में मतभेद बना हुआ है।
 
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष को सत्ता पक्ष और विपक्ष की तनातनी के लिए भी याद किया जाएगा। संसद के दोनों ही सदनों में सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। विपक्ष के नेता पूरे समय छिटके-छिटके से नजर आए।
  
विरोध प्रदर्शन : मोदी सरकार 2.0 के पहले वर्ष में सरकार को ट्रिपल तलाक, अनुच्छेद 370, CAA,NRC, NPR जैसे मुद्दों पर भारी विरोध का सामना करना पड़ा। दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को मार्च में किसी तरह हटाया गया। इस समय तक दिल्ली में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे थे। तबलीगी जमात में आए लोग शाहीन बाग प्रोटेस्ट में भी शामिल हुए। कोरोना की वजह से सरकार को CAA,NRC, NPR जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को टालना पड़ा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

एप्पल, फेसबुक, गूगल, टेलीग्राम के 16 अरब यूजरनेम और पासवर्ड लीक, बचना है तो तुरंत यह करें

Nitin Gadkari : असली फिल्म अभी आना बाकी, नितिन गडकरी ने किया 2029 के आम चुनाव के प्लान का खुलासा

पुरानी बीवी लाए, नई ले जाए, ये विज्ञापन सोशल मीडिया में मचा रहा है धूम, ऑफर में होम सर्विस सुविधा भी

बिहार सरकार ने वृद्धावस्था व विधवा पेंशन में की बढ़ोतरी, अब मिलेंगे 400 की जगह 1100 रुपए प्रतिमाह

इजराइल या ईरान: किसकी करेंसी है ज्यादा ताकतवर?, जानें करेंसी का शहंशाह कौन है?

सभी देखें

नवीनतम

अमेरिका का B2 स्टिल्थ बॉम्बर से 3 ईरानी न्यूक्लियर साइट्स पर हमला, जानिए कितना है खतरनाक?

उत्तराखंड में 10 जुलाई को होंगे पंचायत चुनाव, 12 को मतगणना

शांति का एक दशक, एकता का ये भव्य क्षण

स्पाइसजेट ने यात्री को जारी किया गलत टिकट, 25,000 का जुर्माना

पहलगाम हमले में NIA को बड़ी सफलता, आंतकियों को पनाह देने वाले 2 लोग गिरफ्तार

अगला लेख