नई दिल्ली। मई 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद 16वीं लोकसभा के गठन के बाद से अब तक 493 निजी विधेयक सदन में लंबित हैं, हालांकि अब तक केवल 14 निजी विधेयक ही कानून की शक्ल ले पाए हैं। सदन में कोई भी संसद सदस्य निजी विधेयक पेश कर सकता है।
सूचना के अधिकार के तहत लोकसभा सचिवालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 16वीं लोकसभा में अब तक 493 निजी विधेयक लंबित हैं। जाने-माने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि वर्ष 1970 के बाद से कोई भी निजी विधेयक कानून की शक्ल नहीं ले पाया। इससे पहले के केवल 14 निजी विधेयक ही कानून की शक्ल ले पाए हैं।
संसद में पारित होने वाला अंतिम निजी विधेयक उच्चतम न्यायालय (आपराधिक अपीलीय क्षेत्राधिकार का विस्तार) विधेयक 1968 था, जो 9 अगस्त 1970 को पारित हुआ था। 1970 से पहले कुल 13 ऐसे निजी विधेयक पारित हो चुके थे। पहला पारित होने वाला निजी विधेयक 'द मुस्लिम वक्फ विधेयक 1952' था। इसे सईद मोहम्मद अहमद काजमी ने लोकसभा में पेश किया था और इसे वर्ष 1954 में पारित किया गया था।
संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि निजी विधेयक सदन में किसी सदस्य द्वारा लाया जाता है। इस पर चर्चा भी होती है और आमतौर पर निजी विधेयक पेश करने वाले सदस्य को सरकार की ओर से आश्वासन दिया जाता है कि जब उस मुद्दे पर उपयुक्त कानून लाया जाएगा तो उनकी चिंताओं को उसमें समाहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आमतौर पर सदस्य अपना विधेयक वापस ले लेते हैं।
निजी विधेयक को उचित महत्व नहीं मिलने संबंधी चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर नकवी ने कहा कि संसद में कामकाज बाधित होने की वजह से आजकल विधायी कार्यों पर ही चर्चा नहीं हो पाती है। वैसे भी निजी विधेयक और कार्यों के लिए 1 दिन ही होता है, हालांकि यह जनप्रतिनिधियों और सरकार के बीच संवाद का एक अच्छा मंच एवं माध्यम होता है। (भाषा)