नई दिल्ली। शिक्षण संस्थान परिसरों में पोशाक के संबंध में कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्देश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है। उच्च न्यायालय ने अपने निर्देश में छात्रों से कहा है कि वे शिक्षण संस्थानों के परिसर में ऐसा कोई परिधान पहनने पर जोर न दें जिससे लोग भड़क सकते हैं।
एक छात्र द्वारा दायर याचिका में हिजाब मामले की सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के निर्देश के साथ ही 3 न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष चल रही कार्यवाही पर भी रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। अपील में दावा किया गया है कि उच्च न्यायालय ने मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देकर उनके मौलिक अधिकार को सीमित कर दिया है।
उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई सोमवार के लिए निर्धारित करते हुए यह भी कहा कि शैक्षणिक संस्थान छात्र-छात्राओं के लिए कक्षाएं फिर से शुरू कर सकते हैं। बुधवार को गठित मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति जेएम काजी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की तीन सदस्ईय पीठ ने यह भी कहा कि वह चाहती है कि मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए लेकिन उस समय तक शांति और सद्भावना बनाए रखनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मामले के निपटारे तक आप लोगों को इन सभी धार्मिक चीजों को पहनने की जिद नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम आदेश पारित करेंगे। स्कूल-कॉलेज शुरू होने दें, लेकिन जब तक मामला सुलझ नहीं जाता तब तक किसी भी छात्र-छात्रा को धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर नहीं देना चाहिए। न्यायमूर्ति दीक्षित ने बुधवार को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश अवस्थी के पास इस राय के साथ भेज दिया था कि मुख्य न्यायाधीश मामले पर गौर करने के लिए बड़ी पीठ के गठन का फैसला कर सकते हैं।
हिजाब विवाद पिछले दिनों कर्नाटक के उडुपी में शुरू हुआ था जब कुछ छात्राओं को महाविद्यालयों में कक्षाओं में हिजाब पहनकर आने से रोक दिया गया। इसके बाद हिन्दू छात्र भगवा गमछा लेकर स्कूल-कॉलेज आने लगे। बाद में राज्य के अन्य स्थानों पर भी पक्ष-विपक्ष में प्रदर्शन होने लगे जिसके बाद राज्य सरकार ने मंगलवार को सभी शिक्षण संस्थानों में तीन दिन की छुट्टी घोषित कर दी।