मोदी बोले, गुजरात में हिंसा से सदमे में देश

Webdunia
रविवार, 30 अगस्त 2015 (13:53 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में शांति के पथ पर विकास के मार्ग का अनुसरण करने की अपील करते हुए रविवार को कहा कि विकास के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चलने से ही समस्याओं का समाधान निकल सकता है। राज्य में आरक्षण के मुद्दे पर हिंसक घटनाएं देखने को मिली हैं।

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आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों गुजरात की घटनाओं ने, हिंसा के तांडव ने सारे देश को बेचैन बना दिया। और स्वाभाविक है कि गांधी और सरदार की भूमि पर ऐसा कुछ भी हो जाए तो देश को सबसे पहले सदमा पहुंचता है, पीड़ा होती है। 
 
मोदी ने कहा कि लेकिन बहुत ही कम समय में गुजरात के प्रबुद्ध, सभी मेरे नागरिक भाइयों और बहनों ने परिस्थिति को संभाल लिया। स्थिति को बिगड़ने से रोकने में सक्रिय भूमिका निभाई और फिर एक बार शांति के मार्ग पर गुजरात चल पड़ा।
 
उन्होंने कहा कि शांति, एकता, भाईचारा यही रास्ता सही है और हमें विकास के मार्ग पर ही कंधे से कंधा मिलाकर के चलना है। विकास ही हमारी समस्याओं का समाधान है। इससे पहले भी मोदी ने राज्य में शांति की अपील करते हुए कहा था कि हम सब साथ मिलकर गुजरात को जो नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं, हम सब उसमें सहयोगी बनें और अपना योगदान दें- यही मेरी सभी गुजरात के भाइयों और बहनों से आग्रहपूर्वक विनती है।
 
उल्लेखनीय है कि गुजरात में आरक्षण आंदोलन की अगुवाई कर रहे 22 वर्षीय हार्दिक पटेल को पिछले दिनों कुछ देर के लिए गिरफ्तार किए जाने के दौरान आगजनी, पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई थीं जिसके बाद उत्तरी गुजरात के 3 शहरों और सूरत के कुछ इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया था। बाद में पटेल को रिहा कर दिया गया। 
 
आरक्षण की मांग को लेकर किसी भी अप्रिय घटना नहीं होने देना सुनिश्चित करने के लिए आरएएफ, बीएसएफ और एसआरपी के जवानों को तैनात किया गया है।

सूफी परंपरा का संदेश इस्लाम की सही तस्वीर : प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया को इस्लाम के सही स्वरूप को सही रूप में पहुंचाना सबसे अधिक आवश्यक हो गया है, साथ ही सूफी परंपरा के प्रेम, उदारता के संदेश को रेखांकित करते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी धर्म के लोग इस परंपरा को समझेंगे।
 
मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले मुझे सूफी परंपरा के विद्वानों से मिलने और उनकी बातें सुनने का अवसर मिला। उनके तजुर्बे से, उनकी बातें, उनके शब्दों का चयन, उनके बातचीत का तरीका... सूफी परंपरा की उदारता, सौम्यता को प्रदर्शित करता है। सूफी परंपरा में एक संगीत का लय है, उन सबकी अनुभूति इन विद्वानों के बीच में हुई।
 
उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि सूफी परंपरा जो प्रेम से जुड़ा हुआ है, उदारता से जुड़ा हुआ है, वे इस संदेश को दूर-दूर तक पहुंचाएंगे, जो मानव-जाति को लाभ करेगा, इस्लाम का भी लाभ करेगा मोदी ने कहा कि और मैं औरों को भी कहता हूं कि हम किसी भी संप्रदाय को क्यों न मानते हों, लेकिन सूफी परंपरा को समझना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि सूफी संतों द्वारा प्रस्तुत विचारधारा भारतीय लोकाचार का अभिन्न हिस्सा है लेकिन कट्टरपंथी ताकतें इन्हें कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं।
 
उल्लेखनीय है कि मोदी से गुरुवार को 40 सूफी संतों के शिष्टमंडल ने मुलाकात की थी। मोदी ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में उन्हें बोधगया जाने का अवसर मिलने वाला है।
 
भारत में विश्व के कई देशों के बौद्ध परंपरा के विद्वान बोधगया में आने वाले हैं और मानव जाति से जुड़े हुए वैश्विक विषयों पर चर्चा करने वाले हैं। 
 
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू बोधगया गए थे। मुझे विश्वभर के इन विद्वानों के साथ बोधगया जाने का अवसर मिलने वाला है, मेरे लिए एक बहुत ही आनंद का पल है। (भाषा)
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