10 साल में कर्मचारी संगठन के नेताओं से मिलेंगे पीएम मोदी, आखिर क्यों बदले-बदले नजर आ रहे सरकार?

विकास सिंह
शनिवार, 24 अगस्त 2024 (13:44 IST)
10 साल बाद पहली बार अपने सहयोगी दलों के साथ बहुमत की सरकार चलाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार बदले-बदले से नजर आ रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर कर्मचारी संगठन के नेताओं से मुलाकात करेंगे। 10 साल में यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री कर्मचारी संगठन के नेताओं से मुलाकात करने जा रहे है। माना जा रहा है कि इस बैठक में कर्मचारियों से जुड़े मुद्दों ओल्ड पेंशन स्कीम और एनपीएस पर चर्चा हो सकती है। इसके साथ बैठक में कर्मचारियों के लिए आठवें वेतनमान के मुद्दें पर भी चर्चा हो सकती है।

कर्मचारी संगठनों के साथ यह बैठक ऐसे समय होने जा रही है जब लोकसभा चुनाव के परिणाम भाजपा की आशा के अनुरूप नहीं रहे और आने वाले समय में भाजपा के सामने फिर चुनावी चुनौती है। हरियाणा और जम्मू कश्मीर ऐसे राज्य है जहां चुनावी तारीखों का एलान हो गया है वहीं महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होने वाले है।

मोदी के सामने गठबंधन की चुनौती-अगर देखा जाए तो मोदी सरकार इस बार गठबंधन सहयोगियों के दबाव में नजर आ रही है। सरकार गठन के पहले दो महीने में सरकार के कुछ बड़े फैसलों पर जब गठबंधन के सहयोगियों ने सवाल उठाए तो उन्हें अपने फैसलों से वापस लौटना पड़ा। इसमें सबसे नया मामला यूपीएससी में लेटरल एंट्री का है। यूपीएससी में जब लेंटरल एंट्री को लेकर जारी किए गए विज्ञापन पर जब विपक्ष के साथ सरकार में शामिल सहयोगी दलों ने सवाल उठाया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर इस पर रोक लगा दी गई और नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया गया है। लेटरल एंट्री से पहले मोदी सरकार को अपने तीसरे कार्यकाल में प्रसारण विधेयक, वक्फ बिल से पीछे हटना पड़ा। पिछले दिनों सरकार ने जब संसद में वक्फ एक्ट में संशोधन का विधेयक पेश किया तो विपक्ष ने इस पर अपना तगड़ा विरोध जताया और विरोध के बाद सरकार ने बिल को  संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया।

दरअसल नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन ने 2014, 2019 और अब 2024 में बहुमत प्राप्त किया है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा को सदन में अकेले बल पर भी बहुमत प्राप्त था तो वहीं इस बार भाजपा सदन में अपने बल पर बहुमत के आंकड़े से बहुत दूर है, ऐसे में इस बार उसे गठबंधन के सहयोगियों के भरोसे ही सरकार चलाना पड़ रहा है और अब तक सरकार के कई फैसलों का विरोध सहयोगी दल ही कर चुके है।

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