PM नरेन्द्र मोदी के भाई प्रह्लाद को भाया राशन का 'बंगाल मॉडल', जंतर-मंतर पर दिया धरना

Webdunia
मंगलवार, 2 अगस्त 2022 (13:51 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई और ‘ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन’ (AIFPSDF) के उपाध्यक्ष प्रह्लाद मोदी ने संगठन की विभिन्न मांगों को लेकर मंगलवार को यहां जंतर-मंतर पर धरना दिया। प्रह्लाद मोदी और एआईएफपीएसडीएफ के अन्य सदस्य धरना स्थल पर एकत्र हुए और उन्होंने नारेबाजी की।
 
एआईएफपीएसडीएफ के राष्ट्रीय महासचिव विश्वंभर बसु ने कहा कि वे अपनी 9 सूत्रीय मांगों से संबंधित एक ज्ञापन प्रधानमंत्री को सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भी मिलने की योजना है।
 
एआईएफपीएसडीएफ उचित मूल्य वाली दुकानों से बेचे जाने वाले चावल, गेहूं और चीनी के साथ ही खाद्य तेल और दालों पर होने वाले नुकसान के लिए मुआवजे की मांग कर रहा है। उनकी यह भी मांग है कि मुफ्त वितरण के ‘पश्चिम बंगाल राशन मॉडल’ को देश भर में लागू किया जाए।
 
बसु ने कहा कि हम यह मांग भी करते हैं कि उचित मूल्य वाली दुकानों के माध्यम से खाद्य तेल, दाल और एलपीजी गैस सिलेंडर की आपूर्ति की जाए। ग्रामीण क्षेत्रों की उचित दर वाली दुकानों के डीलरों को चावल व गेहूं के लिए प्रत्यक्ष खरीद एजेंट के रूप में कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हमारी मांगों को टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने भी संसद में उठाया था। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

ऑपरेशन सिंदूर और 'उधार का चाकू', क्या है चालबाज चीन का इससे संबंध

सेनेटरी पैड के पैकेट पर राहुल गांधी ने लगवा दी अपनी तस्वीर, बीजेपी ने कर दिया कबाड़ा

पलक्कड़ में Nipah Virus की पुष्टि, लॉकडाउन जैसे हालात, केरल में अलर्ट जारी

कौन है गैंगस्टर अमित दबंग, जिसे शादी के लिए मिली 5 घंटे की पैरोल

प्रधानमंत्री मोदी को त्रिनिदाद एवं टोबैगो का सर्वोच्च नागरिक सम्मान

सभी देखें

नवीनतम

कौन हैं अव‍लोकितेश्वर, बौद्ध धर्म और दलाई लामा से क्या है इनका संबंध

25 साल बाद Microsoft का Pakistan से मोहभंग, आतंकिस्तान को कहा बाय-बाय

यह देश दे रहा बच्चे पैदा करने पर पैसा, दुनियाभर में क्‍यों बढ़ रहा 'प्रोनेटालिज्म'

उत्तराधिकारी की घोषणा टली, 90 साल के दलाई लामा बोले, मैं 30-40 साल और जीवित रहूंगा

महाराष्‍ट्र की राजनीति में नई दुकान... प्रोप्रायटर्स हैं ठाकरे ब्रदर्स, हमारे यहां मराठी पर राजनीति की जाती है

अगला लेख