पद की गरिमा के हिसाब से प्रधानमंत्री जी को मणिपुर जैसे गंभीर व संवेदनशील मुद्दे पर हंसी-ठिठोली करना एकदम शोभा नहीं देता है।
मणिपुर पर उनकी तरफ से संवेदना, सहयोग व शांति की बातें आनी चाहिए थी। शांति स्थापित करने के प्रयासों को बताना चाहिए था। लेकिन 2 घंटे के लंबे भाषण में बोला… pic.twitter.com/q0aG0FQIc7