मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के नए परिसर को अब सेवा तीर्थ के नाम से जाना जाएगा। मीडिया खबयों के मुताबिक सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत बन रहे परिसर का निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में है। भारत के सार्वजनिक संस्थान एक शांत लेकिन गहन बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। इसे पहले एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव के रूप में जाना जाता था।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अलावा, निर्माणाधीन परिसर में मंत्रिमंडल सचिवालय, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय और इंडिया हाउस के कार्यालय भी शामिल होंगे, जो आने वाले गणमान्य व्यक्तियों के साथ उच्च स्तरीय वार्ता का स्थल होगा। अधिकारियों ने बताया कि सेवा तीर्थ एक ऐसा कार्यस्थल होगा, जिसे सेवा की भावना को प्रतिबिंबित करने के लिए डिजाइन किया गया है और जहां राष्ट्रीय प्राथमिकताएं मूर्त रूप लेंगी। अधिकारियों के मुताबिक शासन का विचार सत्ता से सेवा और अधिकार से उत्तरदायित्व की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक भी है। राज्यों के राज्यपालों के आधिकारिक आवास राजभवन का भी नाम भी बदलकर लोक भवन रखा जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शासन के क्षेत्रों को कर्तव्य और पारदर्शिता को प्रतिबिंबित करने के लिए नया रूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि हर नाम, हर इमारत और हर प्रतीक अब एक सरल विचार की ओर इशारा करते हैं- सरकार सेवा के लिए है। सरकार ने हाल ही में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक वृक्षों से घिरे मार्ग के पूर्ववर्ती नाम राजपथ को बदलकर कर्तव्य पथ किया था।
कल्याण मार्ग किया गया था नाम
प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास का नाम 2016 में बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया था। अधिकारियों के मुताबिक यह नाम कल्याण का बोध कराता है, न कि विशिष्टता का, तथा यह प्रत्येक निर्वाचित सरकार के भविष्य के कार्यों की याद दिलाता है। केन्द्रीय सचिवालय का नाम कर्तव्य भवन है, जो एक विशाल प्रशासनिक केंद्र है, जिसका निर्माण इस विचार के इर्द-गिर्द किया गया है कि सार्वजनिक सेवा एक प्रतिबद्धता है।
अधिकारियों ने कहा कि ये बदलाव एक गहरे वैचारिक परिवर्तन का प्रतीक हैं। भारतीय लोकतंत्र सत्ता की बजाय जिम्मेदारी और पद की बजाय सेवा को चुन रहा है। उन्होंने कहा कि नामों में बदलाव मानसिकता में भी बदलाव है। आज, वे सेवा, कर्तव्य और नागरिक-प्रथम शासन की भाषा बोलते हैं। Edited by : Sudhir Sharma