पुस्तक का दावा, सत्ता में कोई भी रहा, बंगाल में नहीं थमा राजनीतिक हत्याओं का दौर

Webdunia
बुधवार, 31 मार्च 2021 (12:51 IST)
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का एक पुराना इतिहास रहा है और हर दौर में यहां के सत्ताधारी दलों ने इसे एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य की वर्तमान तृणमूल कांग्रेस बदलाव का वादा कर सत्ता में आई थी। लेकिन एक नई किताब में दावा किया गया है कि उनके कार्यकाल में बदले की भावना से युक्त राजनीतिक हिंसा के मामलों में तेजी आई है।

ALSO READ: बंगाल : मारपीट में घायल BJP कार्यकर्ता की मां की मौत, अमित शाह ने TMC पर लगाया आरोप
 
यह दावा किया गया है पश्चिम बंगाल के राजनीतिक इतिहास में राजनीतिक हत्याओं पर आधारित हालिया प्रकाशित पुस्तक 'रक्तांचल' में। इसके अलावा 2 और पुस्तकों 'रक्तरंजित बंगाल' और 'बंगाल : वोटों का खूनी लूटतंत्र' में भी इसका ब्योरा दिया गया है। वरिष्ठ पत्रकार रासबिहारी द्वारा लिखी गईं इन पुस्तकों में बंगाल में कथित तौर पर हुई राजनीतिक हत्याओं का विस्तृत ब्योरा प्रस्तुत करने के साथ ही दावा किया गया है कि राज्य में भले ही कांग्रेस, वामपंथी दलों या फिर तृणमूल कांग्रेस का शासन रहा लेकिन राजनीतिक हत्याओं का दौर थमा नहीं।

ALSO READ: पश्चिम बंगाल : पूर्व क्रिकेटर और BJP उम्मीदवार अशोक डिंडा पर हमला, पत्थर बरसाए गए
 
पुस्तक 'रक्तांचल' में दावा किया गया है कि 2011 में 34 सालों तक पश्चिम बंगाल में राज कर चुके वामंपथी शासन का खात्मा करने वाली ममता बनर्जी जब सत्ता में आईं तो उन्होंने भी वही किया, जो उनके पूर्ववर्तियों ने किया था। पुस्तक के मुताबिक बदला नहीं, बदलाव चाहिए के नारे के साथ ममता बनर्जी ने चुनाव तो लड़ा लेकिन जीतने के बाद राज्य में राजनीतिक हत्याओं में तेजी आने लगी। माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) कार्यकर्ताओं पर हमले तेज हो गए।

ALSO READ: पश्चिम बंगाल को घुसपैठ नहीं सीएए चाहिए, नंदीग्राम में गरजे अमित शाह
 
पुस्तक में दावा किया गया है कि ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी का विस्तार करने के लिए भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद ली, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने सबसे ज्यादा इन्हीं दोनों को अपना निशाना बनाया। इसके मुताबिक वर्ष 2011 में एक बार तो खुद मुख्यमंत्री बनर्जी अपने कार्यकर्ताओं को छुड़ाने भवानीपुर थाने पहुंच गई थीं।

ALSO READ: चुनाव बंगाल का, दांव पर राजनीति दिल्ली की!
 
पुस्तक में कहा गया कि शायद यह राजनीति में पहला ऐसा मामला होगा जब किसी मुख्यमंत्री ने थाने पहुंचकर दंगाइयों को छुड़ाया। पुस्तक के मुताबिक वर्ष 1971 में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे ने भी राजनीतिक हिंसा का सहारा लिया और विरोधियों को कुचलने का काम किया। यह सिलसिला ज्योति बसु के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी जारी रहा और ममता बनर्जी के दौर में ऐसे मामलों में लगातार वृद्धि होती चली गई।
 
पुस्तक में घुसपैठ और वोट बैंक की राजनीति के लिए ममता बनर्जी की आलोचना की गई है दावा किया गया है कि इसकी वजह से पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की आबादी घटी और मुसलमानों की आबादी राष्ट्रीय स्तर से दोगुनी रफ्तार से बढ़ी। पुस्तक में ममता बनर्जी के केंद्र व पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी और मौजूदा राज्यपाल जगदीप धनखड़ से टकराव का भी विवरण है। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

महाराष्ट्र में अनिल देशमुख की गाड़ी पर पथराव, सिर पर लगी चोट

पीएम मोदी के बाद गृहमं‍त्री अमित शाह ने की द साबरमती रिपोर्ट की तारीफ, बोले- सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता

क्‍या किसान दे रहे सेटेलाइट को चकमा, प्रदूषण पर क्‍या कहते हैं नासा के आंकड़े?

अमेरिका में पकड़ा गया गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भाई अनमोल

अमेरिका में पढ़ रहे सबसे ज्‍यादा भारतीय छात्र, रिकॉर्ड स्‍तर पर पहुंची संख्‍या

सभी देखें

नवीनतम

अगले साल भारत की यात्रा पर आ सकते हैं रूस के राष्ट्रपति पुतिन, तारीख तय होना बाकी

हिमाचल सरकार की बढ़ी मुश्किल, अदालत ने दिया हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश

Russia-Ukraine war : जो बाइडेन करवाएंगे तीसरा विश्व युद्ध, पुतिन ने क्यों दी परमाणु हमले की धमकी, डोनाल्ड ट्रंप का बढ़ेगा सिरदर्द

राहुल ने उठाया सवाल, माधवी बुच अपने पद पर क्यों हैं बरकरार?

Viral Video : Anandiben Patel का दावा- Kumbhkarna टेक्नोक्रेट था, 6 महीने सोता नहीं था, बनाता था हथियार

अगला लेख