कोरोना से ठीक होने के बाद वायरस लोगों को लॉन्ग टाइम तकलीफें दे रहा है। ठीक हो चुके लोगों में अब भी कोई न कोई तकलीफ बनी हुई है। इनमें कमजोरी, थकान और चलते वक्त हांफ जाने की परेशानी शामिल हैं। इसके साथ ही कमर या हाथ में दर्द, बाल झड़ना आदि लगभग उन सभी मरीजों में पाया गया है जो कोरोना से संक्रमित थे लेकिन घर पर ही ठीक हो गए थे।
लेकिन एक रिपोर्ट में सामने आया है कि पोस्ट कोरोना के बाद की दिक्कतें महिलाओं में ज्यादा पाई जा रही हैं।
लैंसेट की एक नई रिसर्च के मुताबिक, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में 1.4 गुना ज्यादा थकान और मांसपेशियों में कमजोरी के मामले सामने आए है।
संक्रमण के 12 महीने बाद इनके फेफड़ों के बीमार होने का खतरा ज्यादा रहता है। कोरोना के जिन मरीजों को इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया गया था, उनमें 1.5 गुना तक थकान और मांसपेशियों में कमजोरी ज्यादा देखी गई।
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमण के 6 माह बाद 353 मरीजों का सीटी स्कैन किया गया। रिपोर्ट में फेफड़ों में कई गड़बड़ियां पाई गईं। इन मरीजों को अगले 6 माह के अंदर दोबारा सीटी स्कैन कराने की सलाह दी गई। इनमें 118 मरीजों ने 12 महीने के बाद दोबारा स्कैन कराया। रिपोर्ट में सामने आया कि इनमें कुछ मरीज एक साल बाद भी पूरी तरह से ठीक नहीं थे और गंभीर रूप से बीमार थे।
एक साल तक 30 प्रतिशत लोगों को सांस लेने में तकलीफ
छह महीने के बाद 26 प्रतिशत रोगियों में सांस लेने में तकलीफ 12 महीने के बाद बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई।