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Premanand ji maharaj news: प्रेमानंद महाराज को किडनी की कौनसी बीमारी है, जानिए लक्षण और इलाज

WD Feature Desk
गुरुवार, 16 अक्टूबर 2025 (17:52 IST)
Premanand ji maharaj is suffering from which disease: वृंदावन के संत, प्रेमानंद महाराज जी, अपनी ज्ञान भरी बातों और भक्तिमय जीवन शैली के कारण दुनिया भर में पूजनीय हैं। पिछले कुछ समय से उनकी सेहत को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। महाराज जी पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज  नामक एक गंभीर आनुवंशिक बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसके कारण उनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं। उन्हें प्रतिदिन डायलिसिस (Dialysis) पर रहना पड़ता है।

हाल ही में, उनके चेहरे पर सूजन और आवाज़ में कंपन दिखाई दी, जिससे उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ गईं। हालांकि, महाराज जी ने इस स्थिति को भी सकारात्मकता से स्वीकार करते हुए अपनी दोनों किडनी का नाम प्रेम से 'राधा' और 'कृष्णा' रखा है।

क्या है पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD): पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (पीकेडी) एक जन्मजात विकार है जो जीन में म्यूटेशन के कारण होता है। इस बीमारी में, किडनी के अंदर छोटे-छोटे, पानी भरे सिस्ट यानी पानी की थैलियां बनने लगती हैं। समय के साथ, ये सिस्ट बड़े होते जाते हैं, जिससे किडनी का सामान्य आकार बढ़ जाता है। ये सिस्ट किडनी के स्वस्थ ऊतकों को धीरे-धीरे नष्ट कर देते हैं, जिससे खून को छानने (और शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।

जब किडनी की यह कार्यक्षमता बहुत कम हो जाती है, तो यह क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) या किडनी फेल्योर में बदल जाती है। इसी कारण प्रेमानंद महाराज जी को लगभग दो दशकों से नियमित रूप से डायलिसिस की आवश्यकता है।

PKD के प्रमुख लक्षण: चूंकि यह एक आनुवंशिक बीमारी है, इसके लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देते हैं। PKD के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
1. पीठ या बाजू में दर्द: किडनी के बड़े आकार या सिस्ट में संक्रमण के कारण।
2. उच्च रक्तचाप: यह PKD का सबसे आम और प्रारंभिक लक्षण है।
3. सिरदर्द और थकावट: किडनी ठीक से काम न करने पर अपशिष्ट जमा होने के कारण।
4. पेशाब में खून आना: सिस्ट के फटने या संक्रमण होने पर।
5. बार-बार पेशाब का संक्रमण (UTI) या किडनी स्टोन।
6. सूजन: विशेषकर पैरों, टखनों और चेहरे पर।

क्या है PKD का उपचार: चूंकि PKD एक आनुवंशिक रोग है, इसलिए इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है। उपचार का मुख्य लक्ष्य लक्षणों को नियंत्रित करना और जटिलताओं को कम करना होता है:
ब्लड प्रेशर नियंत्रण: उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना किडनी को और अधिक नुकसान से बचाने में महत्वपूर्ण है।
दर्द और संक्रमण का प्रबंधन: सिस्ट के संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है।
डायलिसिस: किडनी फेल होने पर डायलिसिस ही शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने का मुख्य तरीका है, जिस पर महाराज जी पिछले 19-20 वर्षों से निर्भर हैं। उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की पेशकश भी की गई, पर उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि वह किसी को कष्ट नहीं देना चाहते।
किडनी ट्रांसप्लांट: यह अंतिम और स्थायी उपचार विकल्प है।

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