Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सुल्तानपुर की धरती के लोगन के हम पांव लागत हईं, मोदी के बोलते ही तालियों की गड़गड़ाहट गूंजने लगी....

हमें फॉलो करें सुल्तानपुर की धरती के लोगन के हम पांव लागत हईं, मोदी के बोलते ही तालियों की गड़गड़ाहट गूंजने लगी....
, मंगलवार, 16 नवंबर 2021 (16:50 IST)
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सुल्तानपुर से होकर गुजरने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेस का मंगलवार को उद्घाटन करने के बाद अवधी-भोजपुरी मिश्रित बोली में पौराणिक और ऐतिहासिक संदर्भों के साथ अपने भाषण की शुरुआत की तो कार्यक्रम स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
 
मोदी ने मंगलवार को सुल्तानपुर जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया। यह एक्सप्रेसवे लखनऊ को गाजीपुर से जोड़ता है औा इसकी लंबाई 341 किलोमीटर है। मोदी ने अपने संबोधन में कहा- ‘जवने धरती पर हनुमान जी कालनेमि के वध किए रहें, वो धरती के लोगन के हम पांव लागत हईं।’ (जिस धरती पर हनुमान जी ने कालनेमि का वध किया था, उस धरती के लोगों को मैं पैर छूकर प्रणाम करता हूं।)
 
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कालनेमि एक मायावी राक्षस था। कालनेमि का उल्लेख 'रामायण' में आता है जब लंका युद्ध के समय रावण के पुत्र मेघनाद द्वारा छोड़े गए शक्ति बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए। तब सुषेन वैद्य ने इसका उपचार संजीवनी बूटी बताया जो कि हिमालय पर्वत पर उपलब्ध थी। हनुमान तब तुरंत हिमालय के लिए प्रस्थान किया। रावण ने हनुमान को रोकने हेतु मायावी कालनेमि राक्षस को आज्ञा दी। कालनेमि ने माया की रचना की तथा हनुमान को मार्ग में रोक लिया। हनुमान को मायावी कालनेमि का कुटिल उद्देश्य ज्ञात हुआ तो उन्होंने उसका वध कर दिया।
हनुमान जी ने कालनेमि दानव का वध जिस जगह पर किया था आज वह स्थान सुलतानपुर जिले के कादीपुर तहसील में विजेथुवा महावीरन नाम से विख्यात है एवं इस स्थान पर 'भगवान हनुमान' को समर्पित एक सुप्रसिद्ध पौराणिक मंदिर भी है।
 
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश को विकास की सौगात देते हुए मोदी ने भावनाओं की लहर चलाने की भरपूर कोशिश की है और स्थानीय बोली में भाषण की शुरुआत उनकी पुरानी कार्यशैली रही है। मोदी ने भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या के पड़ोसी जिले सुल्तानपुर के इतिहास की भी चर्चा की।
 
उन्‍होंने 1857 की लड़ाई में सुल्तानपुर की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि 1857 की लड़ाई में हियां के लोग अंग्रेजन के छट्ठी का दूध याद दियवाई देई रहें। यह धरती के कण-कण में स्वतंत्रता संग्राम का खुशबू हवे- कोइरीपुर का युद्ध भला के भुलाई सकत है। आज ये पावन धरती के पूर्वांचल एक्सप्रेस वे क सौगात मिलत बा, जेके आप सब बहुत दिन से अगोरत रहीं। आप सबे के बहुत बहुत बधाई।
 
(1857 की लड़ाई में यहां के लोगों ने अंग्रेजों को छट्ठी का दूध याद दिला दिया था और इस धरती के कण-कण में स्वतंत्रता संग्राम की खुशबू है। कोईरीपुर का युद्ध भला कौन भूल सकता है? आज इस पावन धरती को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की सौगात मिल रही है जिसका आप सब बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। आप सभी को बहुत बहुत बधाई।)
 
स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुल्तानपुर का अहम स्थान रहा है। 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में 9 जून 1857 को सुल्तानपुर के तत्कालीन डिप्टी-कमिश्नर की हत्या कर इसे स्वतंत्र करा लिया गया था। संग्राम को दबाने के लिए जब अंग्रेजी सेना ने कदम बढ़ाया तो चांदा के कोइरीपुर में अंग्रेजों से जमकर युद्ध हुआ था। चांदा, गभड़िया नाले के पुल, अमहट और कादू नाले पर हुआ ऐतिहासिक युद्ध ‘फ्रीडम स्ट्रगल इन उत्तर प्रदेश’ नामक किताब में दर्ज है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सेंसेक्स 396 अंक लुढ़का, निफ्टी भी 18000 से नीचे