पानी बचाने के लिए पीएम मोदी ने किया जनआंदोलन शुरू करने का आव्हान, पढ़िए 'मन की बात' की खास 10 बातें

Webdunia
रविवार, 30 जून 2019 (11:15 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में पानी की कमी को देखते हुए देशवासियों से जल संरक्षण के लिए  जनआंदोलन शुरू करने का आह्वान करते हुए कहा कि इसके लिए पारंपरिक तौर-तरीकों पर जोर दिया जाना  चाहिए। मोदी के दूसरी बार केंद्र में सत्ता संभालने के बाद यह पहला 'मन की बात' कार्यक्रम था।
 
मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे स्वच्छता  अभियान को एक जनआंदोलन का रूप दिया गया है, वैसे ही जल संरक्षण के लिए भी जनआंदोलन शुरू किया  जाना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि हम सब साथ मिलकर पानी की हर बूंद को बचाने का संकल्प करें और मेरा तो विश्वास है कि  पानी परमेश्वर का दिया हुआ प्रसाद है, पानी पारस का रूप है। पहले कहते थे कि पारस के स्पर्श से लोहा सोना  बन जाता है। मैं कहता हूं, पानी पारस है और पारस से, पानी के स्पर्श से, नवजीवन निर्मित हो जाता है। पानी  की एक-एक बूंद को बचाने के लिए एक जागरूकता अभियान की शुरुआत करें।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि जनआंदोलन में पानी से जुड़ीं समस्याओं के बारे में बताया जाना चाहिए और पानी बचाने  के तरीकों का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं विशेष रूप से अलग-अलग क्षेत्र की हस्तियों से  जल संरक्षण के लिए नव अभियानों का नेतृत्व करने का आग्रह करता हूं।
 
फिल्म जगत हो, खेल जगत हो, मीडिया के हमारे साथी हों, सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए लोग हों, सांस्कृतिक  संगठनों से जुड़े हुए लोग हों, कथा-कीर्तन करने वाले लोग हों, हर कोई अपने-अपने तरीके से इस आंदोलन का  नेतृत्व करे। समाज को जगाएं, समाज को जोड़ें, समाज के साथ जुटें। आप देखिए, अपनी आंखों के सामने हम  परिवर्तन देख पाएंगे।
 
'मन की बात' की खास 10 बातें- 
 
1. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग दिवस मनाने के लिए देश और दुनिया का आभार माना।
 
2. उन्होंने केरल की अक्षरा लाइब्ररी का जिक्र किया। उन्होंने कहा- लाइब्रेरी इडुक्की हर किसी को नई राह दिखा  रही है।
 
3. मोदी ने कहा- जो भी पोरबंदर के कीर्ति मंदिर जाए, वो उस पानी के टांके को जरूर देखें। 200 साल पुराने  उस टांके में आज भी पानी है और बरसात के पानी को रोकने की व्यवस्था है, ऐसे कई प्रकार के प्रयोग हर जगह  पर होंगे।
 
4. प्रधानमंत्री ने कहा- भारत में 2019 के लोकसभा चुनाव में 61 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट दिया। यह संख्या  हमें बहुत ही सामान्य लग सकती है, लेकिन अगर दुनिया के हिसाब से देखें और चीन को छोड़ दिया जाए तो  भारत में दुनिया के किसी भी देश की आबादी से ज्यादा लोगों ने मतदान किया है।
 
5. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जल संरक्षण पर बड़ी बातें कही-
 
1. जल संरक्षण के लिए जनआंदोलन की शुरुआत करें। 2. पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तरीकों को  इस्तेमाल में लाया जाता है, उसे साझा करें। 3. जल संरक्षण की दिशा में योगदान देने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं  के पास जो जानकारी हो, उसे साझा करें। पानी के महत्व को ध्यान में रखते हुए, देश में एक नया जलशक्ति  मंत्रालय स्थापित किया गया है। यह सभी जल मुद्दों पर त्वरित निर्णय लेने में मदद करेगा।
 
6. मैंने ग्राम प्रधानों को जल संरक्षण के महत्व और ग्रामीण भारत में इस विषय पर जागरूकता पैदा करने के  लिए कदम उठाने के लिए एक पत्र लिखा। पिछले कुछ महीनों में कई लोगों ने पानी से संबंधित मुद्दों के बारे में  लिखा है। मैं जल संरक्षण पर अधिक जागरूकता देखकर खुश हूं।
 
7. कृपया कुछ समय पढ़ने के लिए समर्पित करें। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप 'नरेन्द्र मोदी मोबाइल  ऐप' पर पढ़ी जाने वाली पुस्तकों के बारे में बात करें। आइए, हम उन अच्छी किताबों पर चर्चा करें जिन्हें हम  पढ़ते हैं और हमें किताबें क्यों पसंद हैं।
 
8. 2019 के आम चुनावों में भारत में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए 61 करोड़ मतदाताओं ने वोट किया।  यह दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव था। अरुणाचल प्रदेश के एक सुदूर इलाके में सिर्फ 1  मतदाता के लिए 1 बूथ स्थापित किया गया था।
 
9. उन्होंने आपातकाल का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि भारत गर्व के साथ कह सकता है कि हमारे लिए  कानून-नियमों से परे लोकतंत्र हमारे संस्कार हैं। लोकतंत्र हमारी संस्कृति है, लोकतंत्र हमारी विरासत है और उस  विरासत को लेकर हम पले-बढ़े लोग हैं और इसलिए उसकी कमी देशवासी महसूस करते हैं और आपातकाल में  हमने अनुभव किया था और इसीलिए देश अपने लिए नहीं, एक पूरा चुनाव अपने हित के लिए नहीं, लोकतंत्र की  रक्षा के लिए आहूत कर चुका था।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश में आपातकाल लगाया गया तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित  नहीं रहा था, राजनेताओं तक सीमित नहीं रहा था, जेल के सलाखों तक, आंदोलन सिमट नहीं गया था। जन-जन  के दिल में एक आक्रोश था। खोए हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी।
 
दिन-रात जब समय पर खाना खाते हैं तब भूख क्या होती है, इसका पता नहीं होता। वैसे ही सामान्य जीवन में  लोकतंत्र के अधिकारों का क्या मजा है, वो तो पता चलता है कि जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेता है।  आपातकाल में देश के हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया है।
 
10. प्रधानमंत्री ने कहा कि कई सारे संदेश पिछले कुछ महीनों में आए। इसमें लोगों ने कहा कि वे 'मन की बात'  को मिस कर रहे हैं। जब मैं पढ़ता हूं, सुनता हूं, मुझे अच्छा लगता है। मैं अपनापन महसूस करता हूं। मुझे  लगता है कि ये मेरी स्व में समष्टि की यात्रा है। यह मेरी अहम से वयम की यात्रा है।

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