प्रीतम मुंडे ने नरेन्द्र मोदी को पछाड़ा, रिकार्ड मतों से जीत

Webdunia
सोमवार, 20 अक्टूबर 2014 (08:26 IST)
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में बीड़ सीट पर उपचुनाव में भाजपा नेता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की पुत्री प्रीतम मुंडे ने इतिहास रचते हुए अब तक सबसे अधिक 6.96 लाख मतों के अंतर चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाया।
 
साल 2004 के चुनाव में माकपा के अनिल बसु ने 5.92 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज करके रिकार्ड बनाया था जिसे अब प्रीतम मुंडे तोड़ने में कामयाब रहीं।
 
इस साल के प्रारंभ में हुए लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने 5 लाख 70 हजार से अधिक मतों से गुजरात के बड़ोदरा सीट से जीत दर्ज की थी और वह बसु का रिकार्ड तोड़ने से करीब 22 हजार मतों से वंचित रह गए थे। अब उनकी ही पार्टी में प्रीतम मुंडे ने यह रिकार्ड तोड़ दिया।
 
दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे के निधन के कारण बीड़ सीट पर लोकसभा में उपचुनाव कराना पड़ा जिसका प्रतिनिधित्व मुंडे कर रहे थे।
 
इस सीट पर 15 अक्टूबर को उपचुनाव कराया गया था। मुंडे की पु़त्री और भाजपा उम्मीदवार प्रीतम मुंडे ने इस सीट पर अपने निकटमत प्रतिद्वन्द्वी और कांग्रेस उम्मीदवार अशोकराव शंकरराव पाटिल को 6.96 मतों से पराजित किया। प्रीमत को 9,22,416 वोट प्राप्त हुए वहीं पाटिल को 2,26,095 वोट प्राप्त हुए।
 
देश में लोकसभा चुनाव के इतिहास में अब तक सबसे अधिक अंतर (5.92 लाख मत) से चुनाव जीतने का रिकार्ड माकपा के अनिल बसु और सबसे कम अंतर (9.9 मत) से जीतने का रिकार्ड कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले कोनाथला रामकृष्ण और भाजपा के सोम मरांडी के नाम है। भारत के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2004 के लोकसभा चुनाव में माकपा के अनिल बसु ने पश्चिम बंगाल के आरामबाग से चुनाव लड़ा था और 5,92,502 मतों से जीत दर्ज की थी। 
 
साल 1989 में कांग्रेस के टिकट पर आंध्रप्रदेश के अनाकापल्ली सीट से चुनाव लड़ने वाले कोनाथला रामकृष्ण केवल नौ मतों से चुनाव जीतने में सफल रहे, जबकि 1998 में तत्कालीन बिहार की राजमहल सीट से भाजपा उम्मीदवार सोम मरांडी भी महज 9 मतों से जीत दर्ज कर सके थे। 1962 में स्वतंत्र पार्टी की गायत्री देवी ने राजस्थान के जयपुर से चुनाव लड़ा था और उन्होंने उस साल हुए चुनाव में सबसे अधिक 1.57 लाख मतों से जीत दर्ज की। 1971 में कांग्रेस के टिकट पर काकिनाड़ा से चुनाव लड़ने वाले एम एस संजीव राव ने 2.92 लाख मतों से जीत दर्ज की थी।
 
रामविलास पासवान का नाम दो बार भारी मतों से चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों में आया। 1977 में जेपी आंदोलन के बाद हुए चुनाव में रामविलास पासवान ने बिहार के हाजीपुर से 4.25 लाख मतों से जीत दर्ज की।
 
1989 के चुनाव में पासवान ने अपने प्रदर्शन को बेहतर किया और 5.04 लाख मतों से चुनाव जीता। 1980 में मध्यप्रदेश के रीवा से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले महाराज मार्तंडेय सिंह ने 2.38 लाख मतों से जीत दर्ज की।
 
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 1984 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 3.14 लाख मतों से जीत दर्ज की थी।
 
1991 के चुनाव में त्रिपुरा पश्चिम से चुनाव लड़ने वाले संतोष मोहन देव ने 4.28 लाख मतों से जीत दर्ज की थी जबकि 1996 के चुनाव में द्रमुक के एन वी एन सोमू ने 3.89 लाख मतों से जीत दर्ज की थी। (भाषा)
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