भागलपुर। जम्मू कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद बिहार के ‘रत्न’ रतन कुमार ठाकुर की बहन के हाथ पीले करने की ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाई।
बिहार के वीर सपूत रतन के शहीद होने की खबर आने के बाद से भागलपुर शहर के लोदीपुर स्थित उनके घर पर लोगों को तांता लगा हुआ है। लोग भले ही परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं, लेकिन लोगों की आंखे नम है। शहीद जवान के पिता राम निरंजन ठाकुर रो-रोकर कहते हैं कि उनके बेटे ने उनसे होली पर आने का वादा किया था लेकिन उसके आने से पहले ही यह मनहूस खबर आ गई। उन्होंने कहा, 'रतन ने कहा था कि होली पर छुट्टी लेकर आउंगा और फिर सरकारी नौकरी वाले लड़के को खोजकर बहन नीतू के हाथ पीले करवाऊंगा।'
भावुक पिता ने कहा कि उनका इकलौता बेटा देश की रक्षा के लिए शहीद हो गया। मेरा तो सब कुछ बर्बाद हो गया। करीब छह साल पहले रतन की मां की मौत के बाद उसने पूरे परिवार की जिम्मेवारी अपने कंधों पर ले ली थी लेकिन अब सबकुछ बिखर गया है। उन्होंने कहा कि उनकी चिंता रतन के परिवार को लेकर है क्योंकि उसका एक बेटा जहां चार साल का है वहीं उसकी पत्नी काजल गर्भवती है।
पिता ने कहा, 'मेरा एक ही होनहार सपूत था और वह भी भारत माता की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। हमले में शामिल आतंकवादियों को भगवान कभी नहीं छोड़ेगा। कब तक हम जैसे गरीब लोगों के बच्चे आतंकवादियों के हाथों मारे जायेगें। केंद्र सरकार को इसपर गंभीरता से सोचना होगा। आतंकी हमले में जितने भी जवान शहीद हुए हैं, उसका बदला पाकिस्तान से लेना चाहिए।'
इधर, शहीद जवान के पैतृक गांव रतनपुर का हर परिवार गमगीन है। लोगों का कहना है कि रतन शुरू से ही होनहार और पढ़ाई में अव्वल था। रतन ने कहलगांव के शंकरसाह विक्रमशिला महाविद्यालय से स्नातक कर आगे की पढ़ाई भागलपुर में की थी। वह 2011 में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में भर्ती होकर झारखंड के गढ़वा में पहली बार पदस्थापित हुआ था। रतन काफी मिलनसार स्वभाव का था और जब भी छुट्टी लेकर गांव आता था तो सभी से वह मिलकर उनका हाल चाल लेता था। (वार्ता)