Raghav chadha on delivery boy : आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में एक निजी विधेयक पेश करते हुए क्विक-कॉमर्स और ऐसे ही अन्य ऐप-आधारित डिलीवरी और सेवा व्यवसायों पर नियमन की मांग की। राघव ने डिलीवरी बॉय का मुद्दा उठाते हुए उनके दर्द भी गिना डाले। सांसद ने कहा कि डिलीवरी बॉय की जिंदगी दिहाड़ी मजदूरों और फैक्टरी मजदूरों से भी बदतर है। सांसद राघव ने कहा कि डिलीवरी टाइम प्रेशर के चलते लाल बत्ती पर खड़ा डिलीवरी बॉय यही सोचता है कि लेट हुआ तो रेटिंग गिर जाएगी। इस दौरान आम आदमी पार्टी सांसद ने डिलेवरी बॉय के लाभ भी गिनाए।
खबरों के अनुसार, आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में एक निजी विधेयक पेश करते हुए क्विक-कॉमर्स और ऐसे ही अन्य ऐप-आधारित डिलीवरी और सेवा व्यवसायों पर नियमन की मांग की। राघव ने डिलीवरी बॉय का मुद्दा उठाते हुए उनके दर्द भी गिना डाले। सांसद ने कहा कि डिलीवरी बॉय की जिंदगी दिहाड़ी मजदूरों और फैक्टरी मजदूरों से भी बदतर है।
सांसद राघव ने कहा कि डिलीवरी टाइम प्रेशर के चलते लाल बत्ती पर खड़ा डिलीवरी बॉय यही सोचता है कि लेट हुआ तो रेटिंग गिर जाएगी। राघव चड्ढा ने Blinkit-Zepto, Zomato-Swiggy के डिलेवरी बॉय से लेकर Ola-Uber के ड्राइवर और Urban Campany प्लंबर-ब्यूटीशियन तक का मुद्दा उठाया।
कस्टमर के हैरेसमेंट का परमानेंट डर भी इनके मन में होता है। जैसे ही ऑर्डर 5-7 मिनट लेट होता है तो ग्राहक फोन करके डांटता कि तेरी कंप्लेन कर दूंगा। इसमें कमाई कम और बीमारी ज्यादा है। 12-14 घंटे की डेली की शिफ्ट करते हुए, चाहें धूप हो, गर्मी हो, ठंड हो, फॉग हो, पॉल्यूशन हो या फिर ट्रैफिक हो, ये लोग बिना किसी प्रोटेक्शन, बिना किसी बोनस और बिना किसी अलाउंस के काम करते रहते हैं।
आम आदमी पार्टी सांसद ने डिलेवरी बॉय के लाभ भी गिनाए। उन्होंने कहा कि डिलीवरी बॉय, राइडर, ड्राइवर और टेक्नीशियन सम्मान, सुरक्षा और उचित कमाई के हकदार हैं। सरकारी भाषा में इन्हें गिग वर्कर्स कहा जाता है। सांसद राघव ने कहा कि ये भारतीय अर्थव्यवस्था के अदृश्य पहिए हैं।
Edited By : Chetan Gour