नई दिल्ली। भारतीय रेल में 62,907 कर्मचारियों की भर्ती परीक्षा परिणामों को लेकर सरकार ने स्पष्टीकरण देते हुए बुधवार को कहा कि इसके लिए परीक्षा में प्राप्त अंकों को जोड़ने की प्रणाली पिछले 19 वर्षों से अपनाई जा रही है और इसमें नॉर्मलाइज्ड अंक कुल अंकों से अधिक हो सकते हैं।
रेल मंत्रालय द्वारा जारी स्पष्टीकरण में कहा गया है कि रेलवे भर्ती बोर्ड के लेवल-1 परीक्षा परिणामों के बारे में गलत सूचना फैलाई जा रही है। लेवल-1 परीक्षा परिणामों के लिए परीक्षा परिणाम तैयार करने की कोई नई प्रणाली लागू नहीं की गई। केन्द्रीकृत रोजगार अधिसूचना के अनुसार उम्मीदवार द्वारा प्राप्त किए गए अंक नार्मलाइजेंशन प्रणाली के आधार पर जारी किए गए हैं। उम्मीदवार के प्राप्तांक परीक्षा पत्र के कुल अंकों से अधिक हो सकते हैं। इस प्रणाली का परिपालन वर्ष 2000 से किया जा रहा है।
इसमें कहा गया है कि 62907 पदों के लिए रिकॉर्ड 1,89,78,913 ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए। विश्व की सबसे बड़ी कम्प्यूटर आधारित परीक्षा 51 दिनों में 152 पालियों में 17 सितंबर 2018 से 17 दिसंबर 2018 तक आयोजित की गई। इस कम्प्यूटर आधारित परीक्षा के परिणाम गत 04 मार्च को घोषित किए गए। केन्द्रीकृत रोजगार अधिसूचना (सीईएन) में महत्वपूर्ण निर्देश में यह कहा गया है कि उम्मीदवारा द्वारा प्राप्त किए गए अंक नार्मलाइजेंशन प्रणाली के अधीन होंगे।
रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा घोषित परीक्षा परिणाम तथा इसके लिए अपनाई गई प्रणाली के संबंध में बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने प्रतिवेदन दिए। कम्प्यूटर आधारित परीक्षा के लिए परिणाम तैयार करने की कोई नई प्रणाली नहीं अपनाई गई। उम्मीदवारों की संक्षिप्त सूची पूरी तरह उम्मीदवार के मेरिट के आधार पर तथा नार्मलाइजेंशन प्रणाली के आधार पर तैयार की गई।
उच्चतम औसत अंक के साथ शिफ्ट का मानक अंतर (एसटी) इस प्रणाली के लिए आधार माना गया है। इस प्रणाली में शिफ्ट के लिए मानक अंतर को बढ़ाकर एस2 किया जाएगा।
इसमें कहा गया है कि वर्ष 2000 से आयोजित रेलवे भर्ती बोर्ड की सभी परीक्षाओं/कम्प्यूटर आधारित परीक्षा में यह प्रणाली अपनाई गई है। यह कोई असामान्य बात नहीं कि इस प्रणाली पर उम्मीदवार द्वारा प्राप्त अंक परीक्षा पत्र के कुल अंकों से अधिक हो सकते हैं। रेलवे भर्ती बोर्ड की पूर्व परीक्षाओं में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां उम्मीदवारों के नार्मलाइज्ड अंक कुल अंकों से अधिक थे। (वार्ता)