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Rajasthan Political Crisis : 'गद्दारों को दिया जा रहा है पुरस्कार', शांति धारीवाल का आरोप- माकन ने रची गहलोत को CM पद से हटाने की साजिश

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, मंगलवार, 27 सितम्बर 2022 (00:28 IST)
नई दिल्ली/जयपुर। RajasthanPoliticalCrisis : राजस्‍थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कांग्रेस महासचिव व पार्टी के प्रदेश प्रभारी अजय माकन पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि वे पार्टी के विधायकों से पक्षपातपूर्ण तरीके से बात कर रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने माकन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हटाने के षड्यंत्र में शामिल होने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गद्दारों को पुरस्कार बर्दाश्त नहीं।
 
माकन ने इससे पहले दिन में मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार विधायकों द्वारा विधायक दल की बैठक में लिए जाने वाले प्रस्‍ताव के लिए शर्तें रखे जाने की आलोचना की। इसके साथ ही माकन ने कहा कि इन विधायकों का विधायक दल की आधिकारिक बैठक में शामिल न होकर उसके समानांतर अन्य बैठक करना ‘अनुशासनहीनता’ है।
धारीवाल ने सोमवार शाम अपने घर पर बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महासचिव व प्रदेश प्रभारी (माकन) पर मेरा आरोप है कि वे पक्षपातपूर्ण तरीके से यहां के विधायकों से बात कर रहे थे। कई दिनों से लगातार ये सूचनाएं आ रही थीं कि वे सचिन पायलट के पक्ष में प्रचार करने के लिए कहा करते थे। वे विधायकों को उनसे जुड़ने के लिए कहा करते थे, हमारे पास इसके सबूत हैं।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या अशोक गहलोत को हटाने का कोई षड्यंत्र था, धारीवाल ने कहा कि सौ प्रतिशत वही था और उस षड्यंत्र में महासचिव (प्रभारी) (माकन) शामिल थे। मैं दूसरों के लिए नहीं कहता, मैं सिर्फ महासचिव (माकन) पर आरोप लगा रहा हूं .. खड़गे साहब पर कोई आरोप नहीं है..खड़गे साहब का कोई मुकाबला नहीं है। वो तो बिलकुल ईमानदार और निष्पक्ष आदमी हैं।’’
उन्होंने कहा कि हम सोनिया गांधी के सिपाही हैं। मेरे पर बीते 50 साल में एक बार भी अनुशासनहीनता का आरोप नहीं लगा। पार्टी महासचिव व प्रभारी ऐसे (पार्टी से बगावत करने वाले) लोगों को मुख्‍यमंत्री बनाने का मिशन लेकर आया है तो विधायकों को तो नाराज होना ही था।
 
धारीवाल ने कहा कि मैंने विधायकों का रोष सुना, उनकी बातें तीन घंटे तक सुनी.. वो क्या चाहते हैं यह सुना.. वो यह चाहते हैं कि अगर मुख्यमंत्री ही बनाना है तो कांग्रेस का निष्ठावान आदमी जो 2020 में राज्य में राजनीतिक संकट के दौरान साथ रहा, 102 विधायक जो होटलों में 34 दिन तक साथ रहे थे, उनमें से बनाया जाना चाहिए।
 
उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान का मुख्यमंत्री वही होगा जिसके लिए सोनिया जी कहेंगी, सोनिया जी का हुक्म माना जाएगा.. कोई चुनौती नहीं दे सकता सोनिया जी के हुक्म को। धारीवाल ने कहा कि गद्दारी करने वालों को पुरस्कार दिया जा रहा है जिसे यहां का विधायक कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।
 
उन्होंने कहा कि विधायकों की बैठक कोई आयोजित बैठक नहीं थी, विधायक एक-एक कर आते गए और अपनी बात सुनते सुनाते गए। आखिर 92 विधायक इकट्ठे हुए और इकट्ठे होकर उनकी बात सुनने में समय तो लगता है।’’
 
यह पूछे जाने पर कि वह विधायक दल की बैठक में क्यों नहीं गए, उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए नहीं गए क्योंकि विधायक यहां मेरे पास आने वाले थे.. टेलीफोन आ रहे थे कि पहले हमारी बात सुनो उसके बाद बैठक में चलेंगे। 
 
इस प्रश्न पर कि अगर आप पर कार्यवाही होती है, आपको नोटिस दिया जाता है तो वह जवाब में क्या कहेंगे, धारीवाल ने कहा कि काल्पनिक सवाल सवाल मत पूछिए.. आने दीजिए जो कुछ होगा वो दिख जाएगा।
 
कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार रात मुख्यमंत्री निवास पर होनी थी लेकिन गहलोत के वफादार अनेक विधायक इसमें नहीं आए। इन विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक की और फिर वहां से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से मिलने गए और उन्हें अपने इस्तीफे सौंप दिए। विधायक दल की बैठक के लिए जयपुर आए पार्टी पर्यवेक्षक माकन एवं मल्लिकार्जुन खड़गे मुख्‍यमंत्री निवास पर विधायकों का इंतजार करते रहे और विधायक दल की बैठक नहीं हुई।
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सोनिया को आज सौंपी जाएगी रिपोर्ट : कांग्रेस की राजस्थान इकाई में संकट को लेकर पार्टी के दोनों पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन मंगलवार तक अपनी लिखित रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपेंगे और इसके बाद ‘अनुशासनहीनता’ के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार माने जाने वाले कुछ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई होने की संभावना है।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या गहलोत समर्थक कुछ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है तो कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर पार्टी ने रविवार के घटनाक्रम को अनुशासनहीनता माना है तो फिर ऐसे में कार्रवाई होना संभव है।
 
बड़े नेताओं से सोनिया की मुलाकात : अपनी राजस्थान इकाई में चल रहे संकट को दूर करने के लिए पार्टी नेतृत्व प्रयास कर रहा है और इसी क्रम में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ गहन मंत्रणा की। माना जा रहा है कि कमलनाथ के गहलोत से अच्छे रिश्ते हैं और वह संकट को सुलझाने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
 
जयपुर में विधायक दल की बैठक नहीं हो पाने और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों के वस्तुत: बागी रुख अपनाने के बाद खड़गे और माकन सोमवार को दिल्ली लौटे तथा 10 जनपथ पहुंचकर सोनिया गांधी से मुलाकात की। कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल भी बैठक में मौजूद थे।
 
डेढ़ घंटे तक मंथन : सोनिया गांधी के साथ डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चली मुलाकात के बाद माकन ने कहा कि जयपुर में रविवार शाम विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति से बुलाई गई थी।
 
माकन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मैंने और खड़गेजी ने राजस्थान के घटनाक्रमों के बारे में सोनिया जी को विस्तार से बताया। कांग्रेस अध्यक्ष ने हमसे पूरे घटनाक्रम पर लिखित रिपोर्ट मांगी है। 
 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की कल शाम जो बैठक हुई थी वो उनके (मुख्यमंत्री) कहने पर और उनकी सहमति के आधार पर और उनके बताए स्थान पर रखी गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष का निर्देश था कि हर विधायक की अलग अलग राय जानकर रिपोर्ट दी जाए। सबसे बात करके फैसला होता।
 
एक सवाल के जवाब में माकन ने कहा कि जब कांग्रेस विधायक दल की औपचारिक बैठक की जाती है तो उसके समानांतर कोई भी बैठक बुलाई जाती है तो वह प्रथम दृष्टया अनुशासनहीनता है। यह बात हमने कांग्रेस अध्यक्ष के समक्ष रखी है। (इनपुट भाषा)

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