Rajnath Singh : केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को दिल्ली में बड़ा ऐलान किया है। एक कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने कहा कि आज सिंध भारत का हिस्सा नहीं है, लेकिन सीमाएं कभी भी बदल सकती हैं और हो सकता है कि सिंध फिर भारत में लौट आए। सभ्यता के हिसाब से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा। इस दौरान रक्षा मंत्री ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि लाल कृष्ण आडवाणी ने अपनी एक किताब में लिखा था कि सिंधी हिन्दू, खासकर उनकी पीढ़ी के लोग, अभी भी सिंध को भारत से अलग करना नहीं मानते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि सिर्फ सिंध में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में हिन्दू सिंधु नदी को पवित्र मानते थे।
सिंध में कई मुसलमान भी मानते थे कि सिंधु का पानी जमजम से कम पवित्र नहीं है। आज, सिंध की ज़मीन भारत का हिस्सा भले ही न हो, लेकिन सभ्यता के हिसाब से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा और जहां तक जमीन की बात है, बॉर्डर बदल सकते हैं। कौन जानता है, कल सिंध फिर से भारत में वापस आ जाए।
उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन के कारण सिंधु नदी का एक बड़ा हिस्सा आज पाकिस्तान में चला गया है। पूरा सिंध प्रांत ही आज पाकिस्तान में है। मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि सिंधु, सिंध और सिंधी समाज का महत्व हमारे लिए आज कम हो गया है। हमारे लिए उनका महत्व आज भी उतना है जितना हज़ारों साल से रहा है। यही कारण है कि साल 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने हमारे राष्ट्रगान से सिंध शब्द निकालने की याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा था कि सिंध शब्द केवल एक भौगोलिक स्थान से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिये क्योंकि यह शब्द भारत और सिंधी समाज की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा हुआ है।
रक्षा मंत्री ने इस दौरान कहा कि नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) का भी जिक्र किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यक समुदायों की रक्षा के लिए यह कानून ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि सिंधी समुदाय समेत इन ग्रुप्स को सालों से गंभीर हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। Edited by : Sudhir Sharma