जम्मू। एक अक्टूबर को अपनी स्थापना का 32वां साल मनाने वाली राष्ट्रीय रायफल्स जम्मू-कश्मीर में 31 सालों से सफलता के झंडे गाड़ रही है। उसे विश्व की सबसे बड़ी आतंकवाद विरोधी फोर्स भी कहा जाता है। पिछले 31 सालों में प्रदेश में मारे गए कुल 27500 आतंकियों में से 17500 को अकेले राष्ट्रीय रायफल्स ने ही मार गिराया है। यही नहीं हजारों आतंकियों को उसने जिंदा भी पकड़ा है।
जानकारी के लिए जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ जंग में राष्ट्रीय राइफल्स सबसे अहम भूमिका निभाती है। इसे भले ही अर्धसैनिक बल समझा जाता हो, लेकिन राष्ट्रीय राइफल्स, सेना का ही हिस्सा है और इसमें सेना के चुनिंदा जवान होते हैं, जो ऊंचाई वाले इलाकों में हर परिस्थिति में दुश्मन को ढेर करने में माहिर होते हैं। इन्हें बहुत कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। इसे दुनिया में आतंकवाद से लड़ने के लिए खासतौर पर गठित सबसे बड़ा बल माना जाता है।
जानकारों के मुताबिक, राष्ट्रीय राइफल्स का काम थैंकलेस जाब की तरह है, क्योंकि खबरों में इसका ज्यादा नाम ही नहीं लिया जाता, जबकि सीमापार से आने वाले आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने में यही अग्रणी रहता है।
यह सच है कि 12 सेक्टरों में बंटी हुई राष्ट्रीय रायफल्स विश्व की सबसे बड़ी आतंकवाद विरोधी फोर्स है, जिसके पास वर्तमान में एक लाख से अधिक जवान और ऑफिसर हैं। यह फोर्स सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही तैनात है और इसके गठन की जरूरत 1990 में उस समय महसूस हुई थी जब राज्य में पाकिस्तान समर्थक आतंकवाद ने पांव पसारे थे।
सबसे बड़ी यह राष्ट्रीय रायफल्स फोर्स सफलता के झंडे गाड़ने में कतई पीछे नहीं है। पिछले 31 सालों के दौरान इस फोर्स द्वारा प्राप्त की गई सफलताओं को गिनाते हुए अधिकारी बताते हैं कि जहां उसने आतंकवाद का खात्मा करने में अहम भूमिका निभाई है, वहीं अब वह ऑपरेशन सद्भावना के तहत लोगों का दिल जीतने के साथ ही उनकी भलाई के कार्य में लिप्त है।
हालांकि इसी अवधि में राष्ट्रीय रायफल्स ने 11000 आतंकवादियों को हिरासत में भी लिया जबकि राज्य में होने वाले आतंकवादियों के आत्मसमर्पण में भी राष्ट्रीय रायफल्स फोर्स ने जो अहम भूमिका निभाई उसके चलते वह 1909 आतंकवादियों से हथियार डलवाने में कामयाब हुई है।
इसका गठन 1990 में विशेष तौर पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से लड़ाई के लिए जनरल एसएफ रोड्रिग्ज ने किया था और जनरल बीसी जोशी के मार्गदर्शन में यह आतंक निरोधक गतिविधियों के लिए पूरी तरह से तैयार हुई। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से जंग में तकरीबन 95000 की क्षमता वाले इस बल की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।
उत्तर-पूर्व की असम राइफल्स की ही तर्ज पर गठित राष्ट्रीय राइफल्स इतने साल के अनुभव के बाद अब जम्मू-कश्मीर के चप्पे-चप्पे से वाकिफ है। पाकिस्तान से भरपूर हथियार और उच्चस्तरीय प्रशिक्षण लेकर आने वाले आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने में राष्ट्रीय राइफल्स का कोई सानी नहीं है।
स्थानीय लोगों के साथ बेहतर संबंधों के कारण राष्ट्रीय रायफल्स का खुफिया नेटवर्क भी खासा मजबूत है। सिर्फ आतंकियों को मारने, पकड़ने या फिर उनके आत्मसमर्पण करवाने में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय रायफल्स को जो अन्य कामयाबियां प्राप्त हुई हैं, उनमें बरामद हथियारों तथा गोला-बारूद की बरामदगियां भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि इसी अवधि में अगर सभी प्रकार के पकड़े गए हथियारों की संख्या 25,475 थी तो 27685 किलोग्राम विस्फोटक भी बरामद किया गया। इसी प्रकार 11040 रेडियो सेट आतंकवादियों से बरामद हुए तो 27 लाख से अधिक राउंड गोलियों के सिर्फ राष्ट्रीय रायफल्स ने ही बरामद किए।