जाते जाते कितनों को धनी बना गए रतन टाटा, अपने कुत्‍ते से लेकर बटलर तक, देखिये वसीयत में कितने नाम

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024 (19:27 IST)
हाल ही में द ग्रेट रतन टाटा का निधन हो गया। उनके निधन से पूरे देश में शोक का माहौल है। जिस तरह से अपने सामाजिक कार्यों से उन्‍होंने देश में योगदान दिया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। कुत्‍तों के लिए रतन टाटा का प्‍यार जगजाहिर है।

अब रतन टाटा की वसीयत के बारे में खबरें आ रही हैं। बता दें कि रतन टाटा के पास करीब 10 हजार करोड़ की संपत्ति थी। टाटा समूह में चैरिटेबल ट्रस्ट के शेयरों को छोड़ने की भी परंपरा है। रतन टाटा ने इसको भी ध्यान में रखा है।

दरअसल, जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा के निधन के करीब 15 दिन बाद उनकी वसीयत को लेकर कुछ जानकारियां सामने आई हैं। रतन टाटा के पास करीब 10 हजार करोड़ की संपत्ति थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रतन टाटा की वसीयत में उनके भाई जिमी टाटा, सौतेली बहन शिरीन और डिएना समेत कई लोगों के नाम हैं। रतन टाटा ने वसीयत में अपने फाउंडेशन का जिक्र किया है। दिलचस्‍प है कि रतन टाटा की वसीयत में उनके प्रिय डॉग टीटो का भी नाम है।

वसीयत में डॉग टीटो का नाम : रतन टाटा ने जर्मन शेफर्ड डॉग टीटो का भी ख्याल रखा है। उन्होंने टीटो की देखभाल करने की जिम्मेदारी अपने रसोइए राजन शॉ को दी है। इसके लिए अच्छी खासी रकम छोड़ी है। रतन टाटा ने वसीयत में अपने बटलर सुब्बैया के लिए भी कुछ हिस्सा छोड़ा है।

शांतनू नायडू को क्या दिया : टाइम्‍स ऑफ इंडियामें छपी खबर के अनुसार लंबे समय से सहयोगी रहे शांतनू नायडू और हाउस स्टाफ के कुछ लोगों को भी संपत्ति में हिस्सेदार बनाया है। टाटा ने आरएनटी कार्यालय में महाप्रबंधक नायडू के वेंचर गुडफेलो में अपनी हिस्सेदारी भी छोड़ दी है। उन्होंने शांतनू नायडू का एजुकेशन लोन भी माफ कर दिया है। शांतनु नायडू रतन टाटा के बेहद ही करीबी लोगों में से एक थे। वह 2017 से टाटा ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं।

टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 9 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया था। वह 86 साल के थे। रतन टाटा अलीबाग में दो हजार वर्ग फुट का बंगला, जुहू में दो मंजिला मकान, 350 करोड़ की एफडी, टाटा संस में 0.83 फीसदी हिस्सेदारी छोड़ गए हैं। इसके अलावा रतन टाटा के पास 30 से 40 लग्जरी गाड़ियां थीं। टाटा समूह में चैरिटेबल ट्रस्ट के शेयरों को छोड़ने की भी परंपरा है। रतन टाटा ने इसको भी ध्यान में रखा है। इसकी हिस्सेदारी रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन को ट्रांसफर कर दी जाएगी।
Edited by Navin Rangiyal

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