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पंजाब की कलह के बाद कांग्रेस में बुलंद हुए बागी स्वर

हमें फॉलो करें पंजाब की कलह के बाद कांग्रेस में बुलंद हुए बागी स्वर

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 29 सितम्बर 2021 (18:57 IST)
विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब में जारी कलह का कांग्रेस की 'सेहत' पर खतरनाक असर होता दिख रहा है। कैप्टन अमरिंदर को जिस तरह मुख्‍यमंत्री पद से हटाया गया है, उससे कांग्रेस के पुराने नेताओं में खासी नाराजगी देखने को मिल रही हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद और मनीष तिवारी कांग्रेस नेतृत्व पर ही सवाल उठा दिया है। 
 
दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू के दबाव में जिस तरह अमरिंदर सिंह को मुख्‍यमंत्री पद से हटाया गया उससे पार्टी के भीतर ही घमासान शुरू हो गया है। 'जी-23' के नेताओं में शुमार कपिल सिब्बल का कहना है कि वे उस पार्टी का हिस्सा हैं, जिसका गौरवशाली इतिहास रहा है। फिलहाल जो पार्टी की स्थिति है, उसे देख नहीं सकते। उन्होंने कहा कि हम 'जी हुजूर 23' नहीं हैं। 
 
उन्होंने कहा कि लोग हमें छोड़ रहे हैं। सुष्मिता जी चली गईं, फलेरियो चले गए, सिंधिया चले गए, जितिन प्रसाद चले गए, केरल से सुधीरन चले गए। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर ये लोग जा क्यों रहे हैं? इसी तरह के सवाल अन्य वरिष्ठ नेता भी उठा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने भी कार्यसमिति बैठक बुलाने की मांग की है। 
 
इसी तरह एक अन्य वरिष्ठ नेता और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी पंजाब कांग्रेस के घटनाक्रम पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि पंजाब में जो कुछ भी चल रहा है उससे सबसे ज्यादा खुशी पाकिस्तान को हो रही होगी। तिवारी ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि पंजाब के मामले को बुरी तरह हैंडल किया गया, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।
 
दरअसल, पंजाब में जिस तरह के हालात बन रहे हैं, वहां कांग्रेस की वापसी अब मुश्किल दिख रही है। इसी तरह राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस आपसी कलह में उलझी हुई है। राजस्थान में जहां सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, वहीं छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव ने भूपेश बघेल की नाक में दम कर रखा है।
 
अध्यक्ष विहीन (राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से श्रीमती सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्‍यक्ष हैं) कांग्रेस में राजनीतिक संकट दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है। हालांकि गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 के प्रदर्शन के बाद कांग्रेस का आत्मविश्वास लौटा था। इसके बाद उसने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा को हराकर सत्ता हासिल की थी। हालांकि मध्यप्रदेश में आंतरिक कलह के चलते सत्ता उसके हाथ से फिसल गई। यदि यही स्थिति रही तो कांग्रेस के हाथ से एक-एक करके अन्य राज्य भी फिसल सकते हैं। लोकसभा में तो वैसे भी उसकी स्थिति अच्छी नहीं है। 
 

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