आरक्षण विधेयक में विपक्ष बनेगा बाधा, बताया सरकार का चुनावी जुमला

Webdunia
बुधवार, 9 जनवरी 2019 (10:59 IST)
नई दिल्ली। आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदम का लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया है। हालांकि विपक्ष ने इसे लोकसभा चुनावों से पहले एक चुनावी स्टंट बताया है। कांग्रेस ने कहा कि सरकार का यह कदम महज एक चुनावी जुमला है। द्रमुक ने कहा कि सरकार ने इस कदम से पिछड़े वर्गों एवं अन्य के साथ विनाशकारी खेल शुरू किया है।


कांग्रेस ने कहा कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए लाए गए विधेयक के समर्थन में है, लेकिन उसे सरकार की मंशा पर शक है। पार्टी ने कहा कि सरकार का यह कदम महज एक चुनावी जुमला है और इसका मकसद आगामी चुनावों में फायदा हासिल करना है।

बसपा, सपा, तेदेपा और द्रमुक सहित विभिन्न पार्टियों ने इसे भाजपा का चुनावी स्टंट करार दिया। हालांकि उन्होंने आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए आरक्षण का समर्थन भी किया। कैबिनेट ने सोमवार को आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस विधेयक को गरीब परिवारों के युवाओं को मोदी सरकार का तोहफा करार दिया और कहा कि इससे उनके स्वर्णिम भविष्य के द्वार खुलेंगे। उन्होंने कहा कि इतने बरसों से तुष्टीकरण की राजनीति कर रही अन्य राजनीतिक पार्टियों के लिए यह एक सबक है।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है, लेकिन रोजगार का तो सृजन ही नहीं हो रहा। उन्होंने ट्वीट किया, मोदीजी, कांग्रेस गरीबों के लिए आरक्षण का समर्थन करती है, लेकिन जब नौकरियां ही पैदा नहीं की जा रहीं तो आरक्षण का फायदा कौन और कैसे लेगा?

बसपा प्रमुख मायावती ने इसे लोकसभा चुनावों से पहले चुनावी स्टंट और राजनीतिक पैंतरा करार दिया। बहरहाल, उन्होंने कहा कि वह सरकार के अपरिपक्व कदम का स्वागत करती हैं।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि यह कदम कथित राफेल घोटाले से ध्यान भटकाने की कोशिश है। उन्होंने कहा, बहरहाल, हम आर्थिक पिछड़ों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का समर्थन करते हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री एवं जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा ने भी केंद्र के कदम का समर्थन किया। द्रमुक ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने इस कदम से पिछड़े वर्गों एवं अन्य के साथ विनाशकारी खेल शुरू किया है। पार्टी ने कहा कि 10 फीसदी आरक्षण का कानून अदालतों में टिक नहीं पाएगा। एआईएमआईएम ने कहा कि यह कदम संविधान के साथ धोखा है।

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