नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निजी क्षेत्र में अधिकतम 50 हजार रुपए मासिक वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण संबंधी राज्य की भाजपा-जजपा सरकार के फैसले से सहमत नहीं है, क्योंकि यह संघ के 'एक राष्ट्र, एक व्यक्ति' के सिद्धांत के विरुद्ध है।
संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि भाजपा के सैद्धांतिक गुरु आरएसएस को लगता है कि राज्य सरकार ने केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन से बने दबाव को कम करने के लिए यह कानून बनाया है।
राज्य विधानसभा द्वारा पिछले साल पारित हरियाणा राज्य स्थानीय अभ्यर्थी रोजगार विधेयक, 2020 स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र की ऐसी नौकरियों में आरक्षण देगा जिनमें मासिक वेतन 50,000 रुपए से कम हो।
पदाधिकारी ने कहा कि संघ 'एक राष्ट्र, एक व्यक्ति' के सिद्धांत में विश्वास रखता है और यह कानून मौलिक रूप से उसके विरुद्ध है और सरकार को देश के भीतर प्रवासी मजदूरों की आवाजाही/कामकाज को नियमित नहीं करना चाहिए, क्योंकि हम सभी विविधता में एकता पर विश्वास करते हैं। पदाधिकारी ने संघ के कामकाज के सिलसिले में हरियाणा और देश के उत्तरी भाग में लंबा समय व्यतीत किया है।
संघ के नेता ने कहा कि ऐसा मालूम होता है कि भाजपा भी पूरी तरह से इस कानून के पक्ष में नहीं है लेकिन वह अपने गठबंधन सहयोगी जजपा के साथ हो ली, क्योंकि राज्य सरकार किसान आंदोलन और किसानों के समर्थन में राज्य में हो रही खाप पंचायतों से बन रहे दबाव में आ गई है।
उन्होंने कहा कि आरएसएस को लगता है कि इस कानून से भले ही स्थानीय लोगों को अस्थायी रूप से कुछ लाभ मिले लेकिन दीर्घावधि में यह हरियाणा की अर्थव्यवस्था के हित में नहीं है। इस विधेयक के कर्णधार जजपा नेता और हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि कानून के लिए नियम बनाने के संबंध में राज्य सरकार उद्योगों और कॉर्पोरेट की सलाह सुनने को तैयार है।
अविश्वास प्रस्ताव : हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार ने लोगों का विश्वास खो दिया है और उनका समर्थन करने वाले विधायक और निर्दलीय उम्मीदवार भी पीछे हट गए हैं। अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा और उस पर मतदान होगा। कई चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। विपक्ष का काम है लोगों की आवाज उठाना। (इनपुट भाषा)