नई दिल्ली। धार्मिक प्रक्रिया ‘संथारा’ को गैरकानूनी करार देने के राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले पर सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी। जैन समुदाय में संथारा प्रक्रिया का प्रचलन है जिसमें मृत्यु के लिए अन्न जल का त्याग कर दिया जाता है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई और केंद्र, राजस्थान तथा अन्य को नोटिस जारी किए। जैन समुदाय के विभिन्न धार्मिक निकायों ने संथारा पर उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए आदेश के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की थीं। पीठ नत्थी की गई इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
जैन समुदाय के विभिन्न धार्मिक निकायों ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक का आग्रह करते हुए दावा किया था कि इसे जैन धर्म के आधारभूत दर्शन एवं सिद्धांतों पर विचार किए बिना जारी किया गया।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने दस अगस्त को संथारा को गैरकानूनी बताते हुए इसे भारतीय दंड विधान की धारा 306 और 309 के तहत दंडनीय बना दिया था। ये धाराएं आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित हैं।
याचिकाओं में दावा किया गया था कि उच्च न्यायालय ने धार्मिक चलन और आत्महत्या के अपराध को बराबर ठहरा कर भूल की है। यह याचिकाएं उच्च न्यायालय के आदेश के विरोध में राजस्थान तथा अन्य राज्यों में समुदाय द्वारा किए जा रहे प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में आईं। (भाषा)