मुद्रास्फीति में युद्ध का बड़ा हाथ, अगस्त तक रेपो दर 0.75 फीसदी और बढ़ेगी : SBI अर्थशास्त्री

Webdunia
सोमवार, 16 मई 2022 (20:15 IST)
मुंबई। देश के अग्रणी बैंक एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हाल में मुद्रास्फीति में दर्ज की गई तीव्र वृद्धि में करीब 60 प्रतिशत योगदान रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए कारकों का रहा है।

इन अर्थशास्त्रियों ने आशंका जताई है कि मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अगस्त तक नीतिगत रेपो दर में अभी 0.75 प्रतिशत तक की और वृद्धि कर सकता है। इस तरह रेपो दर महामारी से पहले के 5.15 प्रतिशत के स्तर तक पहुंच जाएगी।

अर्थशास्त्रियों ने मुद्रास्फीति पर रूस-यूक्रेन युद्ध के असर को लेकर किए गए अध्ययन में यह पाया है कि कीमतों में हुई कम से कम 59 प्रतिशत की वृद्धि के पीछे इस युद्ध से पैदा हुए भू-राजनीतिक हालात रहे हैं। इस अध्ययन में फरवरी के महीने को कीमतों की तुलना का आधार बनाया गया था।

अध्ययन के मुताबिक, सिर्फ युद्ध की वजह से खाद्य एवं पेय उत्पादों, ईंधन, परिवहन और ऊर्जा की कीमतों में हुई वृद्धि का मुद्रास्फीति में 52 फीसदी अंशदान रहा है जबकि सात प्रतिशत असर दैनिक उपभोग वाले उत्पादों से जुड़ी लागत बढ़ने से पड़ा।

अर्थशास्त्रियों ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि मुद्रास्फीति की मौजूदा स्थिति में फौरन सुधार आने की संभावना नहीं दिख रही है। हालांकि शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में कीमत वृद्धि का रूप अलग-अलग देखा गया है। ग्रामीण इलाकों में खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ने से महंगाई की ज्यादा मार देखी जा रही है, जबकि शहरी इलाकों में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने का ज्यादा असर है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मुद्रास्फीति में निरंतर वृद्धि को देखते हुए अब यह लगभग तय है कि रिजर्व बैंक आगामी जून और अगस्त की नीतिगत समीक्षा के समय ब्याज दरें बढ़ाएगा और इसे अगस्त तक 5.15 प्रतिशत के पूर्व-महामारी स्तर पर ले जाएगा।

हालांकि एसबीआई अर्थशास्त्रियों ने आरबीआई से इस पहलू पर गौर करने को कहा है कि अगर युद्ध संबंधी गतिरोध जल्दी दूर नहीं होते हैं तो क्या इन कदमों से मुद्रास्फीति को सार्थक रूप से नीचे लाया जा सकता है?

इसके साथ ही उन्होंने केंद्रीय बैंक के कदमों का समर्थन करते हुए कहा है कि बढ़ोतरी का सकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है। इसके मुताबिक, उच्च ब्याज दर वित्तीय प्रणाली के लिए भी सकारात्मक होगी क्योंकि जोखिम नए सिरे से तय होंगे।

उन्होंने रुपए को समर्थन देने के लिए बैंकों के बजाय एनडीएफ बाजार में आरबीआई के हस्तक्षेप को सही ठहराते हुए कहा कि इससे रुपए की तरलता को प्रभावित नहीं करने का लाभ मिलता है। इसके अलावा इस तरह विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी नहीं आएगी।(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Pakistan के लिए जासूसी कर रहे आरोपी को ATS ने पकड़ा, पाकिस्तानी सेना और ISIS को भेज रहा था जानकारी

बांग्लादेश को भारत की फटकार, हिन्दुओं की सुरक्षा की ले जिम्मेदारी

ताजमहल या तेजोमहालय, क्या कहते हैं दोनों पक्ष, क्या है इसके शिव मंदिर होने के सबूत?

EPFO 3.0 में होंगे बड़े बदलाव, ATM से निकाल सकेंगे PF का पैसा, क्या क्या बदलेगा?

नीबू हल्‍दी से कैंसर ठीक करने का नुस्‍खा बताकर फंसे नवजोत सिंह सिद्धू, ठोका 850 करोड़ का केस

सभी देखें

नवीनतम

महाराष्ट्र और हरियाणा में क्‍यों हारी कांग्रेस, CWC की बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया

क्यों पैतृक गांव गए हैं एकनाथ शिंदे, शिवसेना नेता ने किया खुलासा, क्या महाराष्ट्र में बनने वाला है नया समीकरण

वक्फ बोर्ड को अब नहीं मिलेंगे 10 करोड़, भाजपा ने किया विरोध, महाराष्ट्र सरकार ने वापस लिया आदेश

Delhi : प्रशांत विहार में धमाके के 1 दिन बाद निजी स्कूल को मिली बम से उड़ाने की धमकी

India-China : PM मोदी ने जिनपिंग के साथ बैठक के दौरान मतभेदों को निपटाने दिया जोर, क्या बोले विदेश मंत्री

अगला लेख