एससी/एसटी एक्ट, केंद्र ने दायर की पुनर्विचार याचिका

SC-ST
Webdunia
सोमवार, 2 अप्रैल 2018 (11:58 IST)
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार निवारण अधिनियम से संबंधित उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश की समीक्षा के लिए सोमवार को पुनर्विचार याचिका दायर की।
 
सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से सरकार ने इस मामले में याचिका दायर करके शीर्ष अदालत से अपने गत 20 मार्च के आदेश पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है। सरकार का मानना है कि एससी और एसटी के खिलाफ कथित अत्याचार के मामलों में स्वत: गिरफ्तारी और मुकदमे के पंजीकरण पर प्रतिबंध के शीर्ष अदालत के आदेश से 1989 का यह कानून 'दंतविहीन' हो जाएगा। मंत्रालय की यह भी दलील है कि सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश से लोगों में संबंधित कानून का भय कम होगा और एससी/एसटी समुदाय के व्यक्तियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी होगी।
 
उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी है कि एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत दर्ज मामलों में बगैर उच्चाधिकारी की अनुमति के अधिकारियों की गिरफ्तारी नहीं होगी। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी से पहले आरोपों की प्रारंभिक जांच जरूरी है। इतना ही नहीं, गिरफ्तारी से पहले जमानत भी मंजूर की जा सकती है।
 
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने गिरफ्तारी से पहले मंजूर होने वाली जमानत में रुकावट को भी खत्म कर दिया है। शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद अब दुर्भावना के तहत दर्ज कराए गए मामलों में अग्रिम जमानत भी मंजूर हो सकेगी। न्यायालय ने माना कि एससी/एसटी अधिनियम का दुरुपयोग हो रहा है।
 
पीठ के नए दिशानिर्देश के तहत किसी भी सरकारी अधिकारी पर मुकदमा दर्ज करने से पहले पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) स्तर का अधिकारी प्रारंभिक जांच करेगा। किसी सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी से पहले उसके उच्चाधिकारी से अनुमति जरूरी होगी। महाराष्ट्र की एक याचिका पर न्यायालय ने यह अहम फैसला सुनाया है। पीठ ने केंद्र सरकार और न्याय मित्र अमरेंद्र शरण की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायालय ने इस दौरान कुछ सवाल भी उठाए थे कि क्या एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के लिए प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय किए जा सकते हैं ताकि बाहरी तरीकों का इस्तेमाल न हो? क्या किसी भी एकतरफा आरोप के कारण आधिकारिक क्षमता में अधिकारियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है और यदि इस तरह के आरोपों को झूठा माना जाए तो ऐसे दुरुपयोगों के खिलाफ क्या सुरक्षा उपलब्ध है? क्या अग्रिम जमानत मंजूर न होने की वर्तमान प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उचित प्रक्रिया है?
 
शीर्ष अदालत के इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में सरगर्मी तेज हो गई थी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के कुछ एससी/एसटी सांसदों ने लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान एवं केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत के नेतृत्व में पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात भी की थी। गहलोत ने इस मामले में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र भी लिखा था। (वार्ता)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

क्या पाकिस्तान का मिटेगा नामोनिशान, युद्ध के हालातों में भारत के साथ हैं दुनिया के कौनसे देश

बिंदी हटाई, लगाए अल्लाहू अकबर के नारे, नहीं बच सकी पति की जान, बैसरन में ऐसे बरसीं गोलियां

रूस ने कर दिया खुलासा, Pakistan के खिलाफ कौनसा बड़ा एक्शन लेने वाला है भारत

पाकिस्तान ने भारत के लिए बंद किया एयरस्पेस, कहा- पानी रोका तो युद्ध माना जाएगा

पहलगाम के हमलावरों और उनके आकाओं को ऐसी सजा देंगे जिसकी कल्पना भी नहीं की होगी, बुरी तरह भड़के मोदी

सभी देखें

नवीनतम

कौन हैं बीएसएफ जवान पीके साहू, जिन्हें पाकिस्तान रेंजर्स ने किया गिरफ्तार

पाकिस्तानी खिलाड़ी को न्योता भेजने के लिए नीरज चोपड़ा की ईमानदारी पर उठे सवाल, बयां किया दर्द

पहलगाम नरसंहार के बाद से ही सहमा हुआ है जम्मू कश्मीर, धार्मिक स्थलों पर आतंकी हमले का डर

पहलगाम आतंकी हमले पर भड़के पंडित धीरेंद्र शास्त्री और पंडित प्रदीप मिश्रा, कहा हिंदुस्तान में हिंदू खतरे में

अजित पवार बोले, पहलगाम आतंकवादी हमले का बदला लेने के लिए पूरे भारत में भावनाएं उमड़ रहीं

अगला लेख