कपड़ा उद्योग से निकले दूषित जल के शोधन की नयी तकनीक विकसित

Webdunia
रविवार, 12 सितम्बर 2021 (12:56 IST)
नई दिल्ली, कई उद्योग ऐसे हैं जिनसे बड़ी मात्रा में दूषित जल निकलता है, जिसके पुनः उपयोग की संभावनाएं तलाशने के प्रयास किए जा रहे हैं।

भारतीय शोधकर्ताओं के एक दल ने कपड़ा उद्योग से डाई यानी रंगाई की प्रक्रिया में निकलने वाले दूषित जल के शोधन के लिए एक कारगर समाधान तलाशा है। इससे रंगाई के बाद शेष बचे दूषित जल से विषैले तत्वों को निकालकर उससे घरेलू एवं औद्योगिक उपयोग के लायक बनाया जा सकेगा। इससे प्रदूषित जल की समस्या से निजात मिलने के साथ ही पानी की किल्लत जैसे दोहरे लाभ हासिल हो सकेंगे।

वर्तमान में कपड़ा क्षेत्र से प्रदूषित जल को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक, तीन स्तरों पर शोधित किया जाता है। फिर भी दूषित जल पूरी तरह शोधित नहीं हो पाता। इसमें प्रयुक्त  स्टैंड-अलोन एडवांस्ड ऑक्सिडेशन प्रोसेस (एओपी) ट्रीटमेंट टेक्निक शोधन के सरकारी मानकों के अनुरूप सक्षम नहीं साबित हुई है। रसायनों की निरंतर आपूर्ति जैसे पहलू को लेकर जल-शोधन की यह प्रक्रिया खर्चीली हो जाती है।

ऐसे में, इस समूची प्रक्रिया को अपेक्षित स्तर पर पूरी किफायत के साथ संपन्न कराना एक बड़ी आवश्यकता समझी जा रही थी। नयी पहल इस आवश्यकता की पूर्ति में सहायक होगी। इस पर भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (डीएसटी) विभाग की ओर से जानकारी दी गई है कि 'वर्तमान तकनीक सिंथेटिक औद्योगिक रंगों और चमकीले रंग की गंध को दूर नहीं कर सकती है, जिसका पारिस्थितिक और विशेष रूप से जलीय जीवन पर कार्सिनोजेनिक और विषाक्त प्रभाव पड़ता है जो लंबे समय तक कायम रहता है। ऐसे में, इस विषाक्तता को दूर करने के लिए उन्नत एओपी तकनीक समय की आवश्यकता है।'

इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर के शोधार्थियों और मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जयपुर और एमबीएम कॉलेज, जोधपुर के शोधार्थियों ने मिलकर काम किया और एक उन्नत एओपी का निर्माण किया।

इस उन्नत एओपी शोधन में प्राथमिक चरण के शोधन के बाद सैंड फिल्ट्रेशन स्टेप (लवण निस्यंदन चरण) और एक अन्य एओपी और उससे सहबद्ध कार्बन फिल्ट्रेशन स्टेप जैसे पड़ाव शामिल हैं। यह न केवल प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक प्रक्रियाओं से मुक्ति दिलाता है, अपितु इससे रंगों से भी अधिक से अधिक छुटकारा मिलने के साथ ही शोधित जल भी मानकों के अनुरूप प्राप्त होता है।

इस परियोजना को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), वॉटर टेक्नोलॉजी इनिशिएटिव (डब्ल्यूटीआई) के साथ ही इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (आईएनएई) से सहयोग प्राप्त हुआ।

प्रायोगिक स्तर पर इसकी परख लक्ष्मी टेक्सटाइल प्रिंट्स जयपुर में की गई। अभी इस एओपी संयंत्र की क्षमता 10 किलोलीटर प्रतिदिन की है, जिसे बढ़ाकर 100 किलोलीटर प्रति दिन तक किए जाने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि इस तकनीक से जल शोधन की लागत 50 प्रतिशत तक कम हुई है। (इंडिया साइंस वायर)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

India-Pakistan Conflict : सिंधु जलसंधि रद्द होने पर प्यासे पाकिस्तान के लिए आगे आया चीन, क्या है Mohmand Dam परियोजना

Naxal Encounter: कौन था बेहद खौफनाक नक्‍सली बसवराजू जिस पर था डेढ़ करोड़ का इनाम?

ज्‍योति मल्‍होत्रा ने व्‍हाट्सऐप चैट में हसन अली से कही दिल की बात- कहा, पाकिस्‍तान में मेरी शादी करा दो प्‍लीज

भारत के 2 दुश्मन हुए एक, अब China ऐसे कर रहा है Pakistan की मदद

गुजरात में शेरों की संख्या बढ़ी, खुश हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

सभी देखें

नवीनतम

श्रीनगर में भीषण गर्मी की मार, टूट गया 57 साल का रिकॉर्ड

आतंकवादी हमलों के पीड़ित और अपराधी को समान नहीं समझा जाना चाहिए : विक्रम मिसरी

MP : भाजपा नेता का आपत्तिजनक वीडियो वायरल, मामले को लेकर पार्टी ने दिया यह बयान

राहुल गांधी का डीयू दौरा विवादों में, विश्वविद्यालय ने जताया ऐतराज, भाजपा ने लगाया यह आरोप

शहबाज शरीफ की गीदड़भभकी, भारत-PAK के बीच जंग के हालात ले सकते थे खतरनाक मोड़

अगला लेख