मजबूत चीन किसी के लिए भी खतरा नहीं : शी

Webdunia
गुरुवार, 18 सितम्बर 2014 (23:13 IST)
नई दिल्ली। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने गुरुवार को कहा, मजबूत चीन किसी भी देश के लिए खतरा नहीं है, साथ ही जटिल सीमा मुद्दे का शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए जल्द से जल्द निष्पक्ष, व्यवहार्य और परस्पर स्वीकार्य समाधान निकालने पर जोर दिया।
भारत की तीन दिनों की सरकारी यात्रा पर आए शी ने कहा कि पड़ोसियों में समस्याएं हो सकती हैं, ध्यान केवल मतभेदों पर नहीं होना चाहिए। चीनी राष्ट्रपति ने कहा, कई भारतीय मित्र चीन के विकास में गहरी रुचि दिखाते हैं और चीन के और अधिक प्रगति करने की शुभकामना देते हैं। उन्होंने कहा कि देश ने आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
 
उन्होंने कहा, दुनिया को चीन के विकास का लाभ हुआ है। हालांकि कुछ विचारों पर संज्ञान लिया है कि मजबूत चीन अधिपत्यवादी राह को अपनाएगा और दूसरे देशों के समक्ष तथाकथित खतरा उत्पन्न करेगा। शी ने कहा, मैं उन्हें स्पष्ट करना चाहता हूं कि चीन शांतिपूर्ण विकास के मार्ग को प्रतिबद्ध है। 
 
इंडियन काउंसिल फॉर वर्ल्ड अफेयर्स के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शी ने जोर देकर कहा कि शांति सर्वोपरि है। यहां तक कि प्राचीन समय में चीन इस निष्कर्ष पर पहुंच गया था कि युद्ध की स्थिति वाला देश चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, अंतत: खत्म हो जाता है। 
 
भारत और चीन के संबंधों को मजबूत बनाने की जरूरत की चर्चा करते हुए चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें लगता है कि दक्षिण एशिया इस क्षेत्र और इससे बाहर विकास का नया ध्रुव बनेगा।
 
उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि दक्षिण एशिया एक उपमहाद्वीप है जहां अनंत संभावनाएं हैं और यह एशिया और इससे आगे विकास का नया ध्रुव बनेगा। शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध दक्षिण एशिया क्षेत्र और चीन के लोगों एवं देशों के हितों का पोषण करेगा। शी के संबोधन में भारतीय विचारकों, कवियों का जिक्र था। उन्होंने कहा कि चीन क्षेत्र के सभी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण ढंग से रहना चाहता है। शी ने कहा कि द्विपक्षीय संबंध नए शुरूआत के स्तर पर हैं।
 
उन्होंने कहा, पड़ोसियों में कई बार समस्याएं होती हैं। चीन और भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वे सीमा के सवालों का सामना करें और शांतिपूर्ण एवं मित्रवत विचार विमर्श के जरिए जल्द से जल्द निष्पक्ष, व्यावहारिक और परस्पर स्वीकार्य समाधान निकालें।
 
शी ने कहा कि जब यह प्रक्रिया चल रही हो, तब दोनों देशों को केवल मतभेदों पर ध्यान नहीं देना चाहिए तथा मित्रता एवं सहयोग को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है, तब मतभेद विकास की राह में आड़े आ जाएगा और संबंधों के सम्पूर्ण विकास में रोड़े अटकाएगी।
 
चीनी राष्ट्रपति ने कहा, मुझे विश्वास है कि चीन और भारत में दोनों महत्वपूर्ण देशों के बीच अच्छे पड़ोसियों के संबंध को बढ़ाने की क्षमता और बुद्धिमता है। चीन और भारत की संयुक्त आबादी 2.5 अरब होने का जिक्र करते हुए शी ने कहा कि अगर हम एक आवाज में बोलें, तब पूरी दुनिया हमारी बात को सुनेगी और हम हाथ मिला लें तब पूरी दुनिया ध्यान देगी।
 
उन्होंने कहा कि दोनों देशों को आर्थिक एवं वैश्विक मामलों पर सामरिक गठजोड़ को बढ़ाना चाहिए। विभिन्न संगठनों में समन्वय पर जोर देते हुए चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की बड़ी भूमिका का समर्थन करता है।
 
चीनी राष्ट्रपति ने कहा, चीन और भारत को परस्पर पूरक लाभ के लिए सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। चीन के पश्चिमी द्वार खोलने को भारत के पूरब की ओर देखों नीति के अनुरूप देखा जाना चाहिए जो दुनिया के सबसे प्रतिस्पर्धी उत्पादन आधार, सबसे आकर्षक उपभोक्ता बाजार और सबसे शक्तिशाली विकास इंजन के रूप में तैयार करना है। (भाषा)
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