मोदी सरकार कई मुद्दों पर रही विफल : शिवसेना

Webdunia
गुरुवार, 26 मई 2016 (19:25 IST)
मुंबई। नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल के 2 साल पूरे होने पर इसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भाजपा नीत केंद्र सरकार को कई मुद्दों पर आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया है कि यह सरकार महंगाई को लगाम लगाने, सीमापार से आतंकवाद को रोकने और इस दौरान शुरू की गई योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने में विफल रही है।
शिवसेना ने यह कहते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश दौरों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें पहले यह तय करना होगा कि उनका आवास देश के भीतर है या बाहर? पार्टी के अनुसार यद्यपि पिछले 2 साल में कोई बड़ा घोटाला नहीं हुआ है, लेकिन सरकार मुद्रास्फीति को रोकने, महंगाई की मार से जूझ रहे लोगों को राहत दिलाने और कृषि क्षेत्र के संकट को दूर करने में विफल रही है।
 
शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के एक संपादकीय में लिखा गया है कि 2 साल में मोदी सरकार ने एक के बाद एक योजना शुरू की लेकिन उनमें से किसी योजना को लोग मुश्किल से ही जानते हैं। पिछली सरकार भी इन्हीं योजनाओं को विभिन्न नामों से चला रही थीं, जो आखिर में भ्रष्टाचार के जाल में उलझ गई थीं। प्रधानमंत्री के विदेश दौरों का जिक्र करते हुए इसमें कहा गया है कि मोदी को पहले यह तय करना है कि उनका निवास देश के अंदर है या बाहर? 
 
विदेशी बैंकों में जमा किए गए कालेधन को वापस देश में लाने के मुद्दे पर भी शिवसेना ने सरकार की यह कहते हुए खिंचाई की कि यह लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए बड़े वादों में से एक था जिसे पूरा नहीं किया गया।
 
इसमें कहा गया है कि मोदी ने देश की जनता से वादा किया था कि वे विदेशी बैंकों में जमा कालाधन वापस लाएंगे और हरेक व्यक्ति के बैंक खाते में लाखों रुपया जमा करेंगे, लेकिन 2 साल पूरे हो जाने पर भी वादा पूरा नहीं किया गया।
 
पाकिस्तान के साथ वार्ता करने और सीमापार से हो रही निरंतर आतंकवादी गतिविधियों को लेकर भी शिवसेना ने सरकार पर हमला बोला है। इसने कहा है कि कश्मीर में पाकिस्तानियों द्वारा की जा रही आतंकवादी गतिविधियां रुकी नहीं हैं। हमारे जवान नक्सलियों एवं आतंकवादियों के साथ लड़ाई में शहीद हो रहे हैं, फिर भी हम पड़ोसी देश के साथ वार्ता कर रहे हैं। 
 
हाल ही में कुछ राज्यों में हुए चुनाव में राजग के खराब प्रदर्शन पर तंज कसते हुए शिवसेना ने कहा कि इस समय मोदी सरकार के कार्य का जायजा लेना व्यर्थ है, क्योंकि बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु एवं केरल के लोगों ने अपने निजी तरीके से इसका मूल्यांकन पहले ही कर लिया है। (भाषा)
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