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SIR ने सालों बाद बिछड़ों को मिलाया, किसी को बेटा मिला तो किसी को मिला पिता और बेटी, आखिर क्‍या है प्रोजनी मैपिंग?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 (16:59 IST)
देशभर में SIR सर्वे चल रहा है। देश के 9 राज्‍यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशोंमें SIR का काम अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस पूरी प्रक्रिया में मतदाताओं का 2003 की SIR सूची के हिसाब से प्रोजनी मैपिंग (वंशावली विश्लेषण) की जा रही है, ताकि यह जांच की जा सके कि मतदाता या उसके परिवार का नाम 2003 की एसआईआर लिस्ट में था या नहीं। लेकिन कई परिवारों के लिए प्रोजनी मैपिंग खुशियों की वजह बन गया है।

दरअसल, प्रोजनी मैपिंग के मिलान ने कई बिछड़े परिवार को आपस में मिला दिया है। बिछड़े बेटे को उनके माता-पिता से मिलाया है, तो सालों घर छोड़कर गए व्यक्ति को उनके परिवार से मिलाने का काम किया है।

राजस्‍थान में 45 साल बाद मां से मिला बेटा: एसआईआर की प्रक्रिया ने राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में एक मां को 45 साल से लापता बेटा से मिलाया। भीलवाड़ा जिले के आसींद तालुका के सूरज गांव के रहने वाले उदय सिंह अपना घर छोड़कर चले गये थे और वो छत्तीसगढ़ में रह रहे थे। साल 1980 में अपने घर से गए उदय सिंह SIR प्रक्रिया के दौरान अपने घर लौट आए।

1980 में लापता हुए थे उदय: 1980 में जब उदय सिंह लापता हुए थे तो उनके परिवार वालों ने काफी खोजबीन की थी, लेकिन वो नहीं मिले थे और एक निजी कंपनी में गार्ड का काम कर रहे थे, लेकिन जब एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हुई तो उन्होंने अपने परिवार को लोगों की खोज शुरू की। उदय सिंह अपने गांव और जाति की जानकारी हासिल की और फिर वह गांव पहुंच गए। सत्यापन के दौरान बीएलओ को शक हुआ और उन्होंने उनके परिवार को सूचित किया। मां ने उनके माथे और छाती पर लगे जख्मों से उनकी पहचान की। इस तरह से 45 सालों के बाद वह अपने परिवार से मिल पाए।

बंगाल में 26 साल से लापता बेटा मिला: प्रोजनी मैपिंग की वजह से पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के हाबरा में 26 साल से बिछड़ा बेटा तरुण अपने बुजुर्ग माता-पिता से मिल पाया। हाबरा के रहने वाले प्रशांत दत्ता और उनकी पत्नी सांत्वना दत्ता का बेटा तरुण दत्ता व्यापार में घाटा होने के बाद घर छोड़कर चला गया था और राज्य के किसी अन्य इलाके में रह रहा था, लेकिन जब एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हुई तो उसने अपनी पत्नी और बेटे का फॉर्म भरा और उसने एसआईआर की सूची में दर्ज अपने माता-पिता का जिक्र किया।

ऐसे मिला बेटा : हाबरा में बूथ नंबर 259 के BLO तपन धर जब इसकी मैपिंग कर रहे थे तो तरुण के नाम का मिलान हुआ। उन्होंने इसकी सूचना उनके माता-पिता को दी और उनके माता-पिता से उनका संपर्क कराया। बाद में तरुण वापस लौटा और अपना फॉर्म जमा किया। सालों के बाद अपने बिछड़े बेटे को देखकर बुजुर्ग माता-पिता अपने आंसू नहीं रोक पाए और उन्होंने SIR का आभार जताया।

बरेली में सालों बाद मां से मिली बेटी : बरेली शहर के जोगी नवादा की रहने वाली 40 वर्षीय स्नेहलता करीब पंद्रह सालों के बाद अपने परिवार से मिल पाई। करीब पंद्रह साल पहले स्नेहलता ने अपने प्रेमी ओमकार चौधरी के साथ भागकर शादी कर ली थी और घर छोड़कर चली गई थी। उसके बाद परिवार ने उससे अपना नाता तोड़ लिया था। इसके बाद स्नेहलता की अपने मायके वालों के साथ बातचीत पूरी तरह से बंद हो गई थी।

मायके से मिली बेटी : जब एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हुई और उन्होंने फॉर्म भरना शुरू किया और बीएलओ ने उनके माता-पिता का विवरण मांगा और 2003 की एसआईआर सूची मांगी। उस समय उन्हें अपने मायके की याद आई और स्नेहलता ने अपने मायके में फोन कर अपने माता-पिता का विवरण मांगा। इस तरह से एसआईआर ने स्नेहलता का रिश्ता फिर से मायके से जुड़वाया।

फरीदपुर : सुलेखा वापस लौटीं मायका : फरीदपुर में रहने वाली सुलेखा उर्फ रिहाना को एसआईआर ने सालों के बाद अपना मायका लौटाया। बुलंदशहर की निवासी सुलेखा करीब दस साल पहले नवाब हसन से निकाह कर ली थी और वह रिहाना बन गई थी। शादी के बाद उसके दो बच्चे हैं। शादी के बाद उसका मायका से नाता पूरी तरह से टूट गया था। मायके वाले भी उससे कोई भी संपर्क नहीं रख रहे थे, लेकिन जब एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हुई तो फॉर्म भरने के लिए माता-पिता के एसआईआर 2003 में शामिल सूची की जरूरत हुई। उसे अपने पिता के एपिक कार्ड नंबर और पार्ट और सीरियल नंबर की जरूरत हुई। तो उसने अपनी मां को फोन किया और इससे सालों से बनी दूरियां मिट गई।

गुजरात में SIR ने पिता से मिलाया : बिथरी चैनपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम खेड़ा में एसआईआर ने पिता और बेटे को मिलाया। खेड़ा के रहने वाले रामवीर सिंह का बेटा अवधेश सिंह दस साल पहले एक लड़की से शादी कर घर से भाग गया था और उसके बाद से उसका कोई पता नहीं था और न ही वह कोई संपर्क रखता था। वह गुजरात में रह रहा था। जब एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हुई, तो 2003 के एसआईआर की जानकारी दर्ज करने के लिए कहा गया। ऐसे में अवधेश सिंह ने अपने पिता को फोन किया और 2003 की सूची में दर्ज विवरण की मांग की। इस तरह से सालों से एक-दूसरे से दूर हुए पिता और पुत्र आपस में मिले।
Edited By: Navin Rangiyal

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