बर्फ का कहर, आखिर पाकिस्तान पर क्यों भरोसा करे भारतीय सेना?

सुरेश एस डुग्गर
शनिवार, 14 दिसंबर 2019 (14:52 IST)
जम्मू। बर्फीले तूफानों और हिमस्खलन में एलओसी पर सैनिकों को गंवाना शायद भविष्य में भी जारी रह सकता है क्योंकि भारतीय सेना पाकिस्तान पर भरोसा करके उन सीमांत चौकियों को सर्दियों में खाली करने का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है, जिन्हें कारगिल युद्ध से पहले हर साल खाली कर दिया जाता था।
 
पाकिस्तान से सटी एलओसी पर दुर्गम स्थानों पर हिमस्खलन के कारण होने वाली सैनिकों की मौतों का सिलसिला कोई पुराना नहीं है बल्कि कारगिल युद्ध के बाद सेना को ऐसी परिस्थितियों के दौर से गुजरना पड़ रहा है। कारगिल युद्ध से पहले कभी कभार होने वाली इक्का-दुक्का घटनाओं को कुदरत के कहर के रूप में ले लिया जाता रहा था पर अब कारगिल युद्ध के बाद लगातार होने वाली ऐसी घटनाएं सेना के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही हैं।
 
इस साल भी हालांकि अभी तक 18 जवानों की मौत बर्फीले तूफानों के कारण हुई है पर पिछले साल 25 जवान को हिमस्खलन के चलते मारे गए थे। अधिकतर मौतें एलओसी की उन दुर्गम चौकियों पर घटी थीं, जहां सर्दियों के महीनों में सिर्फ हेलीकॉप्टर ही एक जरिया होता है, पहुंचने के लिए। ऐसा इसलिए क्योंकि भयानक बर्फबारी के कारण चारों ओर सिर्फ बर्फ के पहाड़ ही नजर आते हैं और पूरी की पूरी सीमा चौकियां बर्फ के नीचे दब जाती हैं।
 
हालांकि ऐसी सीमा चौकियों की गिनती अधिक नहीं हैं पर सेना ऐसी चौकियों को कारगिल युद्ध के बाद से खाली करने का जोखिम नहीं उठा रही है। दरअसल कारगिल युद्ध से पहले दोनों सेनाओं के बीच मौखिक समझौतों के तहत एलओसी की ऐसी दुर्गम सीमा चौकियों  तथा बंकरों को सर्दी की आहट से पहले खाली करके फिर अप्रैल के अंत में बर्फ के पिघलने पर कब्जा जमा लिया जाता था। ऐसी कार्रवाई दोनों सेनाएं अपने अपने इलाकों में करती थीं।
 
पर अब ऐसा नहीं है। कारण स्पष्ट है। कारगिल का युद्ध भी ऐसे मौखिक समझौते को तोड़ने के कारण ही हुआ था, जिसमें पाक सेना ने खाली छोड़ी गई सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया था। नतीजा सामने है। कारगिल युद्ध के बाद ऐसी चौकिओं पर कब्जा बनाए रखना बहुत भारी पड़ रहा है। सिर्फ खर्चीली हीं नहीं बल्कि औसतन हर साल कई जवानों की जानें भी इस जद्दोजहद में जा रही हैं।
 
बताया जाता है कि पाकिस्तानी सेना भी ऐसी ही परिस्थितियों से जूझ रही है। एक जानकारी के मुताबिक, पाक सेना ने सीजफायर के बाद कई बार ऐसे मौखिक समझौतों को फिर से लागू करने का आग्रह भारतीय सेना से किया है पर भारतीय सेना इसके लिए कतई राजी नहीं है।
 
एक सेनाधिकारी के मुताबिक, पाक सेना का इतिहास रहा है कि वह लिखित समझौतों को भी तोड़ती आई है तो मौखिक समझौतों की क्या हालत होगी अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

India-Pakistan Conflict : सिंधु जलसंधि रद्द होने पर प्यासे पाकिस्तान के लिए आगे आया चीन, क्या है Mohmand Dam परियोजना

Naxal Encounter: कौन था बेहद खौफनाक नक्‍सली बसवराजू जिस पर था डेढ़ करोड़ का इनाम?

ज्‍योति मल्‍होत्रा ने व्‍हाट्सऐप चैट में हसन अली से कही दिल की बात- कहा, पाकिस्‍तान में मेरी शादी करा दो प्‍लीज

भारत के 2 दुश्मन हुए एक, अब China ऐसे कर रहा है Pakistan की मदद

गुजरात में शेरों की संख्या बढ़ी, खुश हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

सभी देखें

नवीनतम

US के बाद EU के Tax Plan ने निकाली चीन की चीख

क्या आपको पता है आर्मी और मिलिट्री में अंतर? समझिए दोनों में क्या है फर्क

मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम, कटनी, ओरछा, सिवनी, शाजापुर और श्रीधाम अमृत स्टेशनों का हुआ उद्घाटन

ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्‍तान हुआ बर्बाद, एयरबेस से लेकर सुपरसोनिक विमानों तक, ऐसे हुआ 1.12 अरब डॉलर का नुकसान

J&K: किश्तवाड़ में 2 आतंकी ढेर, 2 के साथ मुठभेड़ जारी, 1 जवान भी शहीद

अगला लेख