हाथी गलियारे पर 2020 का SC का फैसला अंतिम, CJI संजीव खन्ना ने दिया यह बयान

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024 (18:21 IST)
Elephant Corridor News : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि नीलगिरि में हाथी गलियारे के रास्ते में आने वाली निजी संपत्तियों और रिसॉर्ट के मालिकों को जमीन खाली करने का आदेश देने संबंधी 2020 का उसका फैसला अंतिम है। शीर्ष अदालत के आदेश में प्रभावित भूस्वामियों द्वारा उठाई गई आपत्तियों का निराकरण करते हुए वन्यजीव आवासों की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया। शीर्ष अदालत ने 14 अक्टूबर, 2020 को मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मुदुमलाई हॉस्पिटैलिटी एसोसिएशन और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती की याचिकाओं सहित 35 याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया था।
 
हालांकि प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय को यह जांच करने की अनुमति दे दी कि क्या जांच समिति ने भूमि सीमांकन और अधिग्रहण से संबंधित आपत्तियों के निराकरण में अपने दायरे का उल्लंघन किया है। उच्चतम न्यायालय ने ही यह समिति नियुक्त की थी।
ALSO READ: दिल्ली के चिड़ियाघर की सदस्यता हुई रद्द, हाथी शंकर को लेकर WAZA ने दी यह चेतावनी
तीन सदस्यीय समिति का गठन तमिलनाडु सरकार के आदेश के तहत हाथी गलियारे (हाथियों के निर्बाध आवागमन के लिए निर्धारित मार्ग) हेतु भूमि चिह्नित करने के नीलगिरि जिलाधिकारी के निर्णय के खिलाफ निजी भूमि मालिकों की आपत्तियों पर निर्णय लेने के लिए किया गया था।
 
मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. वेंकटरमन, वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया के सलाहकार अजय देसाई और वाइल्डलाइफ फर्स्ट के ट्रस्टी तथा राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य प्रवीण भार्गव समिति का हिस्सा थे। शीर्ष अदालत ने 14 अक्टूबर, 2020 को मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मुदुमलाई हॉस्पिटैलिटी एसोसिएशन और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती की याचिकाओं सहित 35 याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया था।
ALSO READ: क्‍या आयुष्मान भारत में शामिल होगा आयुर्वेद और योग, Supreme Court ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के 2011 के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें अभिनेता चक्रवर्ती सहित रिसॉर्ट मालिकों और निजी भूमि मालिकों को हाथी गलियारे में जमीन खाली करने और उसका कब्जा अधिकारियों को सौंपने के लिए कहा गया था।
ALSO READ: पत्रकार के खिलाफ FIR पर Supreme Court की फटकार, जानिए क्‍या है पूरा मामला...
फैसले के विभिन्न पहलुओं पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने शुक्रवार को कहा, हम यह स्पष्ट करते हैं कि 14 अक्टूबर, 2020 के निर्णय में दर्ज निष्कर्ष अंतिम हैं। पीठ ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी की दलीलों पर गौर करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय में मामले के निर्णय के लिए समय सीमा तय की जानी चाहिए अन्यथा यह मामला वर्षों तक लटकता रहेगा। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Phangnon Konyak : कौन हैं फान्गॉन कोन्याक, जिन्होंने राहुल गांधी पर लगाए हैं गंभीर आरोप

आरबीआई की रिपोर्ट में राज्यों की मुफ्त योजनाओं को लेकर चेतावनी

भाजपा सांसदों का हेल्थ अपडेट, सारंगी सिर में टांके आए, राजपूत का BP हाई

Tata, Maruti, Hyundai की उड़ी नींद, किआ ने पेश की नई SUV, बेहतरीन फीचर्स के साथ मचाएगी धमाल

क्या रूस ने ढूंढ लिया है कैंसर का क्योर! जानिए वैक्सीन के दावे को लेकर क्या कहना है डॉक्टर का

सभी देखें

नवीनतम

किसान नेता डल्लेबाल के आमरण अनशन के 24 दिन, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा पंजाब सरकार से

यूपी के शाहजहांपुर घर में सो रही युवती से नाबालिग ने किया दुष्कर्म

Weather Update : श्रीनगर में मौसम की सबसे सर्द रात, चिल्लई-कलां से पहले कश्मीर में बढ़ी ठंड

युवाओं के कौशल विकास और स्पष्ट दिशा देने के साथ ही विश्वविद्यालयों को आत्मनिर्भर बनाएंगे : मोहन यादव

जद (यू) ने किया केजरीवाल पर पलटवार, उनकी प्रतिबद्धता पर उठाए सवाल

अगला लेख