न्यायमूर्ति चेलमेश्वर का सवाल, सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं हो सकती वाई फाई सुविधा...

Webdunia
बुधवार, 10 मई 2017 (16:10 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश ने बुधवार को सवाल किया कि यदि अमेरिका के पेंटागन स्थित रक्षा विभाग में वाईफाई की सुविधा हो सकती है तो यह शीर्ष अदालत में क्यों नहीं लगाई जा सकती। 
 
शीर्ष अदालत के तीसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर ने यहां कहा कि यदि पेंटागन वाईफाई के साथ काम कर सकता है तो किसी भी अन्य संस्थान में इस सुविधा के लिए क्या कठिनाई हो सकती है? न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने उच्चतम न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर ‘एकीकृत मुकदमा प्रबंधन प्रणाली’ के शुभारंभ समारोह को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, विधि एवं न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद और प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की मौजूदगी में संबोधित कर रहे थे।
 
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय परिसर को वाईफाई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। किसी ने एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश के दिमाग में यह विचार बैठा दिया कि यह उच्चतम न्यायालय की सुरक्षा को खतरा हो सकता है क्योंकि इससे सूचनाएं लीक हो सकती हैं। न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने उच्चतम न्यायालय में मुकदमा दायर करने के लिए नई डिजीटिलाइज्ड प्रणाली की सराहना करते हुए कहा कि करीब 20 साल पहले न्यायिक प्रणाली का कंप्यूटरीकरण शुरू होने के बाद से यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
 
उच्चतम न्यायालय में तीन साल पहले के अपने एक अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि मैं न्यायमूर्ति चौहान और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के साथ पीठ का सदस्य था। हम एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसमें दांव काफी बड़ा थे, कानूनी सवाल भी उलझा हुआ था, भारतीय बार की सभी प्रमुख हस्तियां इस मामले में थीं और इत्तेफाक से मैं हमेशा ही न्यायालय में परिहास करता हूं कि भारतीय न्यायपालिका हमारे देश की पारिस्थितिकी को सबसे अधिक नष्ट करने वालों में है।
 
उन्होंने कहा कि हम इतना अधिक कागज बर्बाद करते हैं और इसमें बहुत अधिक दोहराव भी होता है। न्यायपालिका से जुड़े हम सभी इस बात को जानते हैं, शायद कानून मंत्री यह जानते हैं क्योंकि वह भी वकालत करते थे, प्रधानमंत्री ने यह कभी नहीं देखा होगा। प्रधानमंत्री, आप विश्वास करने के लिए सिर्फ इसे देखिए कि न्यायालय कक्ष, विशेषकर उच्चतम न्यायालय में कितना अधिक कागज इस्तेमाल होता है।
 
उस मुकदमा विशेष में टनों कागज दाखिल किए गए थे। इसमें बहुत अधिक दुहराव था। मैने वकील से पूछा कि आप इसे ई फार्म में क्यों नहीं कर देते। अंतत: उस मामले में सारी सामग्री एक पेन ड्राइव में की गई और हमें सौंपी गई। यह होता है। न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा कि मुझे विश्वास है कि यह कार्यक्रम हमारी व्यवस्था के कंप्यूटरीकरण के लिए एक बड़ी प्रेरणा होगा। 
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