Supreme court : सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों में आरोपियों की संपत्ति समेत अन्य संपत्तियों को ध्वस्त किए जाने का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि सड़क के बीच धार्मिक संरचना बाधा नहीं बन सकती। अवैध मंदिरों और मस्जिदों को हटाना होगा। अदालत ने स्पष्ट किया अवैध निर्माण के खिलाफ बुलडोजर एक्शन नहीं रुकेगा।
न्यायालय ने कहा कि उसके दिशा निर्देश पूरे भारत में लागू होंगे। साथ ही उसने कहा कि वह यह स्पष्ट कर रहा है कि किसी व्यक्ति का महज आरोपी या दोषी होना संपत्ति के ध्वस्तीकरण का आधार नहीं हो सकता। उसने कहा कि वह सार्वजनिक सड़कों, सरकारी जमीनों या जंगलों में किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगा। हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि हमारे आदेश से किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण करने वालों को मदद न मिले।
सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि किसी प्रॉपर्टी पर बुलडोजर की कर्रवाई के पहले नोटिस देने की व्यवस्था है। अब तक नोटिस चिपकाया जाता है, लेकिन नोटिस रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाना चाहिए। नोटिस मिलने के 10 दिन बाद ही विवादित संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि हम एक सेक्युलर देश में रहते हैं। अतिक्रमण वाली जमीप पर प्रॉपर्टी किसी की भी हो सकती है। वह हिंदू की भी हो सकती है, मुस्लिम की भी हो सकती है। सार्वजनिक सड़कों पर, वॉटर बॉडी या रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करके मंदिर, मस्जिद या दरगाह जो कुछ भी बनाया गया है, उसे तो जाना ही होगा, क्योंकि पब्लिक ऑर्डर सर्वोपरि है।
उन्होंने कहा कि बेशक अधिकृत निर्माण न हो, लेकिन तोड़-फोड़ की कार्रवाई के विरोध में महिलाओं, वृद्धों और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं लगता है। अगर उन्हें समय मिलेगा तो वे लोग वैकल्पिक व्यवस्था कर लेते। अनधिकृत निर्माण के लिए एक कानून होना चाहिए, यह धर्म या आस्था या विश्वास पर निर्भर नहीं है। एक ऑनलाइन पोर्टल होना चाहिए। एक बार जब जानकारी को डिजिटलाइज कर देंगे तो रिकॉर्ड भी बनेगा।
उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने 17 सितंबर को कहा था कि उसकी अनुमति के बगैर एक अक्टूबर तक आरोपियों समेत अन्य लोगों की संपत्तियों को नहीं गिराया जाएगा। पीठ ने कहा था कि अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है।
न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उसका आदेश सड़कों, फुटपाथ, रेलवे लाइन या जलाशयों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर बने अनधिकृत ढांचों पर लागू नहीं होगा और साथ ही उन मामलों पर भी लागू नहीं होगा जिनमें अदालत ने ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है।
Edited by : Nrapendra Gupta