सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं को लेकर लगाई फटकार, कहा आप बड़े राजमार्ग बना रहे हैं लेकिन सुविधाओं के अभाव में लोग मर रहे

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 28 अप्रैल 2025 (21:17 IST)
नई दिल्ली। सड़क/मोटर वाहन हादसों के शिकार लोगों के लिए नकदीरहित इलाज (cashless treatment) की योजना तैयार करने में देरी को लेकर केंद्र पर नाराजगी जाहिर करते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court ) ने सोमवार को कहा कि आप बड़े-बड़े राजमार्गों का निर्माण कर रहे हैं लेकिन सुविधाओं के अभाव में लोग वहां मर रहे हैं। न्यायमूर्ति अभय एस ओका (Abhay S Oka) और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां (Ujjal Bhuiyan) की पीठ ने कहा कि 8 जनवरी के आदेश के बावजूद केंद्र ने न तो निर्देश का पालन किया और न ही समय बढ़ाने की मांग की।
 
शीर्ष अदालत ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 164ए 1 अप्रैल, 2022 को 3 साल के लिए प्रभाव में लाई गई थी लेकिन केंद्र ने दावेदारों को अंतरिम राहत देने के लिए योजना बनाकर इसे लागू नहीं किया। पीठ ने सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव से पूछा कि आप अवमानना ​​कर रहे हैं। आपने समय बढ़ाने की मांग करने की जहमत नहीं उठाई। यह क्या हो रहा है? आप हमें बताएं कि आप योजना कब बनाएंगे? आपको अपने कानूनों की परवाह नहीं है। यह कल्याणकारी प्रावधानों में से एक है। इस प्रावधान को प्रभाव में आए तीन साल हो गए हैं। क्या आप वाकई आम आदमी के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं?ALSO READ: Supreme Court : आपने अदालत का माहौल खराब किया, सुप्रीम कोर्ट ने वकील को फटकारा, लगा 5 लाख का जुर्माना
 
शीर्ष अदालत ने सचिव से यह भी सवाल किया कि क्या आप इतने लापरवाह हो सकते हैं? क्या आप इस प्रावधान के प्रति गंभीर नहीं हैं? लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर रहे हैं। आप बड़े-बड़े राजमार्ग बना रहे हैं, लेकिन वहां लोग मर रहे हैं क्योंकि वहां कोई सुविधा नहीं है। गोल्डन ऑवर ट्रीटमेंट (हादसे के एक घंटे में इलाज) की कोई योजना नहीं है। इतने सारे राजमार्ग बनाने का क्या फायदा?ALSO READ: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की बढ़ेगी मुश्किल, सुप्रीम कोर्ट और CJI पर की थी टिप्पणी
 
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2 (12-ए) के तहत गोल्डन ऑवर सड़क हादसे में किसी दर्दनाक चोट के बाद एक घंटे की अवधि को संदर्भित करता है जिसके तहत समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप से मृत्यु को रोका जा सकता है। शीर्ष अदालत ने सचिव को योजना में देरी के कारणों को स्पष्ट करने के लिए तलब किया था।
 
सचिव ने सोमवार को कहा कि एक मसौदा योजना तैयार की गई थी, लेकिन जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) द्वारा आपत्ति जताए जाने के कारण इसमें बाधा उत्पन्न हो गई। सचिव ने कहा कि जीआईसी सहयोग नहीं कर रही है। इसने तर्क दिया है कि उसे दुर्घटना में शामिल मोटर वाहन की बीमा पॉलिसी की स्थिति की जांच करने की अनुमति दी जानी चाहिए।ALSO READ: Waqf Law : सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया 7 दिन का समय, वक्फ बोर्ड में नहीं होंगी नियुक्तियां

शीर्ष अदालत ने यह बयान भी रिकार्ड पर लिया कि गोल्डन ऑवर की योजना सोमवार से एक सप्ताह के भीतर लागू हो जाएगी। इसके बाद पीठ ने अधिसूचित योजना को नौ मई तक रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 13 मई को तय की।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

भारत में कैसे होती है जनगणना, जानिए Census की पूरी प्रक्रिया

Apple, Google, Samsung की बढ़ी टेंशन, डोनाल्ड ट्रंप लॉन्च करेंगे सस्ता Trump Mobile T1 स्मार्टफोन

Raja Raghuvanshi Murder Case : खून देखकर चिल्ला उठी थी सोनम, 2 हथियारों से की गई राजा रघुवंशी की हत्या

Ahmedabad Plane Crash: प्लेन का लोहा पिघल गया लेकिन कैसे बच गई भागवत गीता?

शुक्र है राजा रघुवंशी जैसा हश्र नहीं हुआ, दुल्हन के भागने पर दूल्हे ने ली राहत की सांस

सभी देखें

नवीनतम

Israel-Iran conflict : डोनाल्ड ट्रंप की ईरान को सीधी धमकी, बिना शर्त सरेंडर करो, हमें पता है सुप्रीम लीडर कहां छिपा है

महिला बाइक राइडर से मनचलों ने की छेड़खानी, वीडियो वायरल, 3 आरोपी सलाखों के पीछे

Ahmedabad plane crash: डीएनए मिलान से 163 मृतकों की पहचान हुई, 124 शव परिजन को सौंपे गए

बेंगलुरु भगदड़ हादसे में अदालत ने सरकार से रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में देने पर किया सवाल

हेमा मालिनी के आश्वासन के बाद बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर पर विरोध प्रदर्शन स्थगित

अगला लेख