सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों की बार काउंसिल को वकीलों के पंजीकरण शुल्क को लेकर दिया अहम फैसला

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
मंगलवार, 30 जुलाई 2024 (18:37 IST)
Supreme Court : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि राज्य बार काउंसिल (Bar Council) विधि स्नातकों का वकील के रूप में पंजीकरण करने के लिए अत्यधिक शुल्क नहीं ले सकतीं, क्योंकि यह हाशिए पर पड़े और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के खिलाफ व्यवस्थागत भेदभाव को बढ़ावा देता है। पीठ ने कहा कि समानता के लिए गरिमा अत्यंत महत्वपूर्ण है और राज्य बार काउंसिल (SBC) और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) संसद द्वारा निर्धारित राजकोषीय नीति में परिवर्तन या संशोधन नहीं कर सकतीं।
 
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि बार काउंसिल अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करती हैं और वे सामान्य एवं अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) श्रेणी के विधि स्नातकों का वकीलों के रूप में पंजीकरण करने के लिए क्रमश: 650 रुपए और 125 रुपए से अधिक शुल्क नहीं ले सकतीं।

ALSO READ: नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट में भी झटका, राज्य में नहीं बढ़ेगी आरक्षण की सीमा
 
शीर्ष अदालत ने राज्य बार काउंसिल द्वारा लिए जा रहे अत्यधिक शुल्क को चुनौती देने वाली 10 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। न्यायालय ने 22 मई को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाओं में यह आरोप लगाया गया था कि ओडिशा में पंजीकरण शुल्क 42,100 रुपए, गुजरात में 25,000 रुपए, उत्तराखंड में 23,650 रुपए, झारखंड में 21,460 रुपए और केरल में 20,050 रुपए है जबकि अधिवक्ता अधिनियम की धारा 24 के तहत 650 रुपए और 125 रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है।
 
पीठ ने कहा कि एसबीसी और बीसीआई निर्धारित पंजीकरण शुल्क और स्टाम्प शुल्क (यदि कोई हो) के अलावा किसी अन्य शुल्क के भुगतान की मांग नहीं कर सकतीं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि किसी व्यक्ति की गरिमा में उसकी अपनी क्षमता का पूर्ण विकास करने का अधिकार, अपनी पसंद का पेशा अपनाने और आजीविका कमाने का अधिकार शामिल है। ये सभी चीजें व्यक्ति की गरिमा के अभिन्न अंग हैं।

ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट का योगी सरकार को झटका, कावड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर नहीं लगेगी नेम प्लेट
 
न्यायालय ने कहा कि पंजीकरण के लिए पूर्व शर्त के रूप में अत्यधिक पंजीकरण शुल्क एवं अन्य विविध शुल्क वसूलना कानूनी पेशे में प्रवेश में बाधा उत्पन्न करता है। उसने कहा कि पंजीकरण की पूर्व शर्त के रूप में अत्यधिक शुल्क लगाना उन लोगों की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, जो कानून के क्षेत्र में अपने करियर को आगे बढ़ाने में सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना करते हैं और यह हाशिए पर पड़े एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों के खिलाफ प्रणालीगत भेदभाव को कानूनी पेशे में समान भागीदारी को कमजोर करके प्रभावी तरीके से बरकरार रखता है।
 
पीठ ने मौजूदा पंजीकरण शुल्क संरचना को मौलिक समानता के सिद्धांत के विपरीत मानते हुए एसबीसी और बीसीआई से यह सुनिश्चित करने को कहा कि शुल्क विभिन्न मदों की आड़ में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कानून का उल्लंघन नहीं करे। उसने हालांकि कहा कि यह फैसला भावी रूप से लागू होगा और एसबीसी को अब तक लिया गया अतिरिक्त शुल्क वापस करने की आवश्यकता नहीं है।

ALSO READ: NEET Paper Leak : सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका, कहा- दोबारा परीक्षा के गंभीर होंगे परिणाम
 
उसने कहा कि बार निकाय विधि स्नातकों का वकील के रूप में पंजीकरण के बाद उन्हें प्रदान की जाने वाली अन्य सेवाओं के लिए शुल्क ले सकते हैं। पीठ ने कहा कि एसबीसी द्वारा पंजीकरण के समय धारा 24 (1) (एफ) के तहत कानूनी प्रावधान से अधिक शुल्क और प्रभार वसूलने का निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 19, 1 (जी) (पेशा अपनाने का अधिकार) का उल्लंघन है। शीर्ष अदालत ने 10 अप्रैल को याचिकाओं पर केंद्र, बीसीआई और अन्य राज्य बार निकायों को नोटिस जारी किया था और कहा था कि उन्होंने 1 महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

West Bengal : ममता बनर्जी को राज्यपाल का आदेश, RG Kar मामले पर बुलाएं इमरजेंसी कैबिनेट बैठक

भजन गायक कन्हैया मित्तल भी भाजपा से नाराज, कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल

CM हिमंता बिसवा सरमा का बड़ा ऐलान, असम में आधार के लिए NRC अनिवार्य

Chirag Paswan को पशुपति पारस के जरिए कंट्रोल करेगी BJP, बनाया यह प्लान

नरसंहार मामले को लेकर कश्मीरी पंडित संगठनों ने लिया यह बड़ा फैसला

सभी देखें

नवीनतम

कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव के लिए जारी की 9 उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट, जानिए AAP के साथ गठबंधन की कहां तक पहुंची बात

Pakistan : इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर बवाल, PTI कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले

West Bengal : ममता बनर्जी को राज्यपाल का आदेश, RG Kar मामले पर बुलाएं इमरजेंसी कैबिनेट बैठक

चंद्रमा पर हुआ था ज्वालामुखी विस्फोट, चीनी अंतरिक्ष मिशन से हुई पुष्टि

संदिग्ध मंकीपॉक्स मामले की हो रही जांच, सरकार ने कहा- चिंता की कोई बात नहीं

अगला लेख