यौन उत्पीड़न पीड़िताओं के प्रति अदालतों के लिए संवेदनशील बने रहना आवश्यक : उच्चतम न्यायालय

Webdunia
शुक्रवार, 12 अगस्त 2022 (23:08 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सभी अदालतों के लिए यह आवश्यक है कि वे यौन उत्पीड़न पीड़िताओं को लगे सदमे, उनकी सामाजिक शर्मिंदगी और अवांछित कलंक के प्रति संवेदनशील बने रहें।शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अदालतें साथ ही यह सुनिश्चित करें कि इस तरह के अपराध करने वालों को न्याय के कठघरे में लाने की प्रक्रिया पीड़िता के लिए कष्टदायक नहीं रहे।

न्यायालय ने कहा कि विशेष रूप से ऐसे मामलों में जहां पुलिस इस तरह के यौन अपराध की शिकायतों का समाधान करने में नाकाम रहती है, अदालतों का यह महत्वपूर्ण दायित्व है और निचली अदालतों को यथासंभव एक ही बैठक में जिरह पूरी करनी चाहिए। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि पुलिस शिकायतकर्ता के लिए भयमुक्त माहौल बनाने की कोशिश करे।

न्यायालय ने कहा, अदालतों को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करनी चाहिए कि अपराधकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाना पीड़िता के लिए दुष्कर नहीं हो। पीड़िता को महज एक शिकायत दर्ज कराने और विशेष रूप से प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध की जांच शुरू कराने के लिए यहां-वहां दौड़ नहीं लगानी पड़े।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने अपने हालिया फैसले में इस संबंध में निचली अदालतों के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। पीठ ने कहा कि यह निचली अदालतों का दायित्व है कि वे अपने समक्ष पीड़ित व्यक्ति से उपयुक्त व्यवहार करे।

पीठ ने कहा, हम एक बार फिर यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने में अदालतों के संवेदनशील बने रहने के महत्व को दोहराते हैं। शीर्ष न्यायालय का यह निर्णय मध्य प्रदेश की एक यौन उत्पीड़न पीड़िता की अपील पर आया है। यह मामला कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबद्ध है।

पीठ ने कहा कि अदालत को बंद कमरे में कार्यवाही की अनुमति देनी चाहिए। पीठ ने कहा कि निचली अदालत को एक स्क्रीन लगाने की अनुमति देनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पीड़ित महिला बयान देने के दौरान आरोपी को नहीं देख सके।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत को सुनिश्चित करना चाहिए कि आरोपी के वकील पीड़िता से सम्मानजनक तरीके से जिरह करे और अनुचित सवाल नहीं पूछे, खासतौर पर महिला के पहले के यौन संबंधों के बारे में।(भाषा)

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?