नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं किए जाने पर शुक्रवार को नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार से कहा कि आप (न्यायपालिका के) पूरे संस्थान को काम करने से पूरी तरह से नहीं रोक सकते।
प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालती कक्ष बंद हैं। क्या आप न्यायपालिका को बंद करना चाहते हैं? पीठ ने तल्ख लहजे में कहा कि आप पूरे संस्थान के काम को पूरी तरह ठप नहीं कर सकते।
पीठ ने कहा कि मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) को अंतिम रूप नहीं दिए जाने के कारण नियुक्ति प्रक्रिया ठप नहीं हो सकती। अदालत ने न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़ी फाइलों को आगे बढ़ाने की धीमी रफ्तार की आलोचना की और चेताया कि वह तथ्यात्मक स्थिति पता करने के लिए पीएमओ और विधि एवं न्याय मंत्रालय के सचिवों को तलब कर सकती है। इस पीठ में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव भी शामिल थे।
पीठ ने कहा कि कोई गतिरोध नहीं होना चाहिए। आपने एमओपी को अंतिम रूप दिए बगैर न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए फाइलें आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है। एमओपी को अंतिम रूप देने का न्यायपालिका में नियुक्ति प्रक्रिया के साथ कोई लेना-देना नहीं है। विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की कमी के संदर्भ में पीठ ने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय में कई अदालत कक्ष बंद पड़े हैं, क्योंकि कोई न्यायाधीश ही नहीं है।
केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि एमओपी को अंतिम रूप नहीं दिया जाना एक कारण है। उन्होंने पीठ को आश्वासन दिया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति पर निकट भविष्य में और प्रगति होगी। अदालत ने इस मामले में अब 11 नवंबर को आगे सुनवाई करेगा। (भाषा)