नई दिल्ली। इस सबार गर्मियों में ऐसा पहली बार होगा जब उच्चतम न्यायालय के 15 जजों को गर्मी की छुट्टियां नहीं मिलेंगी। संवैधानिक महत्व से जुड़े तीन मामलों की जल्द सुनावाई के लिए यह कदम उठाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के 67 साल के इतिहास में पहली बार इन गर्मियों में पांच जजों वाली तीन बेंच नियमित रूप से हर दिन काम करेगी और राष्ट्रीय महत्व से जुड़े मुद्दों का निपटारा करने की कोशिश करेंगी। इन तीन मामलों में से एक मुस्लिमों में होने वाले तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह से संबंधित है।
मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने गुरुवार को बताया कि उन्होंने तीन अलग संविधान खंडपीठ बनाई हैं जो गर्मी की छुट्टियों में मामले को देखेंगी। उन्होंने कहा कि संविधान पीठ 11 मई से 19 मई तक इन परंपराओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि अगर वकील राजी हों तो कोर्ट मामले की सुनवाई के दौरान पड़ने वाले शनिवार और रविवार को भी काम करने को तैयार है।
अभी तक गर्मियों की छुट्टियों में दो जजों की एक बेंच उपलब्ध होती थी जो कुछ मामलों की सुनवाई करती थी, लेकिन यह पहली बार है जब शीर्ष कोर्ट के 28 में से 15 जज अपनी छुट्टी का अधिकतर हिस्सा मामलों की सुनवाई और फैसले लिखने में निकाल देंगे। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि इससे वकीलों को मुश्किलें आएंगी क्योंकि कोर्ट ने दो अन्य संवैधानिक बेंचों को इसी समयावधि में वॉट्सऐप की नई प्रिवेसी पॉलिसी और असम नागरिकता विवाद पर सुनवाई का काम दे रखा है।
रोहतगी की चिंता पर खेहर ने कहा कि अगर आप कहते हैं कि आप छुट्टियों के दौरान इसे नहीं करना चाहते हैं तो हमें जिम्मेदार मत ठहराइए। पिछली बार भी मैं पूरी छुट्टियों में फैसले लिखता रहा। हमें एकसाथ काम करना होगा। बेंच ने कहा कि अगर हमने इस पर अभी फैसला नहीं किया तो यह सालों साल और कई दशकों तक नहीं होगा। (एजेंसी)