Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद कश्मीर में चिंता की लकीरें

Advertiesment
हमें फॉलो करें Taliban

सुरेश एस डुग्गर

, मंगलवार, 17 अगस्त 2021 (09:45 IST)
मुख्‍य बिंदु
  • कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों के माथे पर चिंता की लकीरें 
  • 1990 के दशक में अफगान मुजाहिदीनों से जूझ चुके हैं भारतीय सुरक्षाबल
  • कश्मीर में 32 सालों में 25 हजार से अधिक आतंकी ढेर, इनमें 13 हजार विदेशी आतंकी
जम्मू। लगभग 20 सालों के बाद अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती हैं। यूं तो कश्मीर में तैनात सुरक्षाबल 1990 के दशक में अफगान मुजाहिदीनों से कई सालों तक जूझ चुके हैं, पर आधुनिक तालिबान से लड़ना उन्हें चिंता का विषय लग रहा है।
 
आंकड़ों के मुताबिक, कश्मीर में 32 सालों में ढेर किए गए 25 हजार से अधिक आतंकियों में 13 हजार विदेशी आतंकी थे और इनमें एक हजार के लगभग अफगान मुजाहिदीन अर्थात तालिबानी भी थे जिन्हें आतंकवाद के शुरुआती दिनों में मार गिराया गया था।
 
यह आंकड़ा भी सच में चौंकाने वाला था कि कश्मीर में छेड़ी गई तथाकथित आजादी की जंग में पाकिस्तान ने करीब 27 देशों के भाड़े के सैनिकों को धकेला था जिनमें सबसे अधिक पाकिस्तानी और अफगान नागरिक थे और दूसरे नम्बर पर सबसे अधिक पाकिस्तानी आतंकी ही कश्मीर में मारे गए हैं।
 
अब जबकि एक बार फिर पड़ौस में तालिबान ने सिर उठा लिया है, तो कश्मीर में तैनात सुरक्षाबल चिंतित होने लगे हैं। पहले से ही वे स्थानीय नागिरकों के आतंकवाद की ओर बढ़ते कदमों के साथ ही आईएसआईएस से भी जूझ रहे थे और उन्हें वे सूचनाएं व चेतावनियां परेशान करने लगी हैं जिनमें कहा जा रहा है कि पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद में नई जान फूंकने की खातिर तालिबानियों का सहारा ले सकता है।
 
कश्मीर में कई सालों तक आतंकियों से निपटने वाले कश्मीर पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों का कहना था कि भारतीय सुरक्षाबलों के लिए आतंकी, आतंकी ही होता है चाहे वह पाकिस्तानी हो या फिर अफगानी। वे कश्मीर में पिछले 32 सालों में मार गिराए गए 25 हजार से अधिक आतंकियों का हवाला देते हुए कहते थे कि किसी को भी शांति भंग करने का अवसर नहीं दिया जा सकता।
 
पर गुप्तचर संस्थाएं आशंकित जरूर थीं। उनकी आशंका, विदेशी भाड़े के सैनिकों द्वारा हमेशा कश्मीर में मचाई गई तबाही रही है। यह सच है कि कश्मीर में जब ‘सहायता’ की खातिर कश्मीरी आतंकियों ने अफगान मुजाहिदीनों को न्यौता दिया तो उनके कुकृत्यों से कश्मीरी जनता इतनी त्रस्त हो उठी की अंततः कश्मीरी जनता ने आप ही तथाकथित आजादी की जंग से मुंह मोड़ लिया और कश्मीरी जनता ही फिर इन अफगान मुजाहिदीनों के लिए मौत का कारण बन गई।
 
1990 के दशक में अफगान मुजाहिदीनों से जूझ चुके हैं भारतीय सुरक्षाबल
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अफगानिस्तान की महिलाओं को सता रहा है तालिबान का डर