Manipur : उग्रवादियों के एनकाउंटर के बाद मणिपुर में बिगड़े हालात, केंद्र ने CAPF की 20 और कंपनियां भेजी

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 13 नवंबर 2024 (23:39 IST)
केंद्र सरकार ने मणिपुर में नए सिरे से हमलों की घटनाओं और कानून व्यवस्था संबंधी मुद्दों के मद्देनजर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की 20 अतिरिक्त कंपनियों को भेजा है जिनमें करीब 2,000 जवान हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि गृह मंत्रालय ने मंगलवार रात को इन जवानों को तत्काल हवाई मार्ग से भेजने और तैनात करने का आदेश जारी किया।
 
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के साथ सोमवार को मणिपुर के जिरीबाम जिले में भीषण मुठभेड़ में कम से कम 10 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए। यह मुठभेड़ तब हुई जब छद्म वर्दीधारी और अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों ने जिरीबाम जिले के जाकुराधोर स्थित बोरोबेकरा थाने और निकटवर्ती सीआरपीएफ शिविर पर अंधाधुंध गोलीबारी की।
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सीआरपीएफ ने भीषण मुठभेड़ के बाद अत्याधुनिक हथियारों की एक बड़ी खेप भी जब्त की। सूत्रों के अनुसार सीएपीएफ की जिन 20 कंपनियों को मणिपुर में तैनाती का आदेश दिया गया है, उनमें 15 सीआरपीएफ की और पांच सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की हैं।
 
राज्य में पिछले साल मई में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से सीएपीएफ की 198 कंपनियां पहले से ही तैनात हैं। इस हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। मणिपुर के जिरिबाम में नए सिरे से हिंसा भड़कने के बाद पिछले सप्ताह से तनाव की स्थिति बनी हुई है।
 
बंद का व्यापक असर : मणिपुर के जिरीबाम जिले में उग्रवादियों द्वारा तीन महिलाओं और उनके बच्चों का कथित अपहरण किये जाने के खिलाफ 13 नागरिक अधिकार संगठनों द्वारा इंफाल घाटी में बुलाये गए पूर्ण बंद का बुधवार को आम जनजीवन पर व्यापक असर देखने को मिला। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
 
अधिकारियों ने बताया कि नगारिक अधिकार संगठनों के आह्वान पर मंगलवार शाम छह बजे शुरू हुए बंद के कारण इंफाल घाटी के पांच जिलों इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, थौबल, काकचिंग और बिष्णुपुर में व्यापारिक प्रतिष्ठान और शैक्षणिक संस्थान बंद रहे।
 
उन्होंने बताया कि निजी और अंतर-जिला सार्वजनिक परिवहन भी सड़कों से नदारद रहे तथा सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति नगण्य रही।
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बंद का आह्वान करने वाले 13 नागरिक समाज संगठनों में ऑल क्लब्स ऑर्गेनाइजेशन एसोसिएशन और मीरा पैबी लूप (एसीओएएम लूप), इंडिजिनस पीपुल्स एसोसिएशन ऑफ कंगलेइपाक (आईपीएके) और कंगलेइपाक स्टूडेंट्स एसोसिएशन (केएसए) शामिल हैं।
 
अधिकारियों ने बताया कि बंद के दौरान अबतक इंफाल घाटी में कोई अप्रिय घटना नहीं घटी है। हालांकि, जिरीबाम के निकट नगा बहुल तामेंगलोंग जिले के ओल्ड कैफुंदई के निकट सशस्त्र उग्रवादियों ने सामान ले जा रहे दो ट्रकों में आग लगा दी।
 
एक अधिकारी ने बताया कि पहाड़ी इलाकों से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे उग्रवादियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर कई बार हवा में गोलियां चलाकर ट्रकों को रोक लिया और फिर उनमें आग लगा दी।
 
मणिपुर के रोंगमेई नगा छात्र संगठन ने इस घटना की कड़ी निंदा की और आरोप लगाया कि इसके पीछे कुकी उग्रवादियों का हाथ है। छात्र संगठन ने एक बयान में दावा किया कि ट्रक नोने और तामेंगलोंग जिले के लिए चावल, प्याज और आलू ले जा रहे थे।
 
मणिपुर पुलिस के मुताबिक, सोमवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 10 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए। यह मुठभेड़ छद्म वर्दी पहने और अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों द्वारा जिरीबाम जिले के जाकुरधोर स्थित बोरोबेका पुलिस थाने और नजदीक ही स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ)के शिविर पर अंधाधुंध गोलीबारी के बाद हुई। हालांकि, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मारे गए उग्रवादियों की संख्या 11 बताई है।
 
पुलिस ने बताया कि सोशल मीडिया पर लापता छह लोगों को उग्रवादियों द्वारा बंधक बनाने की कथित तस्वीरों की पुष्टि नहीं हो सकी है और उन्हें ढूंढ़ने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
 
इस बीच, कांग्रेस की राज्य इकाई ने बंधक बनाई गई तीनों महिलाओं और उनके तीन बच्चों को तत्काल रिहा करने की मांग की है। पार्टी ने कहा कि राज्य में दोनों समुदायों के बीच संघर्ष को समाप्त करने के लिए केंद्र को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
 
मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता ओकराम इबोबी सिंह ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘पिछले कुछ दिनों में राज्य में स्थिति बहुत खराब हो गई है और कुछ भी कहा नहीं जा सकता। मानवीय आधार पर बंधक बनाई गई महिलाओं और बच्चों को बचाना या रिहा कराना सबसे वांछनीय और उचित निर्णय होगा।’’ उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह ‘‘जान-माल की सुरक्षा करने में विफल रही है।’’
 
कांग्रेस विधायक ने कहा, ‘‘हम सत्ता के भूखे दल नहीं हैं, लेकिन हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि सरकार के लिए प्राथमिकता शांति की रक्षा करना है।’’
 
उन्होंने सवाल किया, ‘‘जब यह स्पष्ट है कि छह निर्दोष महिलाओं और बच्चों का अपहरण किया गया है तो भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह चुप क्यों हैं? क्या हम इंसान नहीं हैं? यह विभिन्न राज्यों या देशों के बीच युद्ध नहीं है, बल्कि एक राज्य के भीतर समुदायों के बीच टकराव है। केंद्र और राज्य को बहुत पहले ही इसका समाधान निकाल लेना चाहिए था।’’
 
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत शुरू की जानी चाहिए। हमने पहले भी कहा था कि केंद्र को संघर्ष विराम लागू करना चाहिए और फिर शांति लाने के लिए संघर्षरत समूहों को बातचीत के लिए बुलाना चाहिए। दोनों पक्षों की ओर से हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थायी समाधान के लिए वार्ता शुरू करने से पहले अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है और इसमें केंद्र की बड़ी भूमिका है। इनपुट भाषा (प्रतीकात्मक चित्र)

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