आतंकी हमला : रॉकी और रॉय ने खुद शहीद होकर 44 जवानों की जान बचाई

Webdunia
गुरुवार, 6 अगस्त 2015 (22:37 IST)
जम्मू-चंडीगढ़। सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) जवानों के एक काफिले पर भारी हथियारों से लैस दो आतंकवादियों द्वारा हमला किए जाने के बाद बीएसएफ के जांबाज जवान रॉकी ने 40 गोलियों से भरी पूरी मैगजीन खाली कर दी और अन्य 44 निहत्थे जवानों की जान बचाने के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी।
अन्य सैन्यबलों के पहुंचने तक 25 वर्षीय बहादुर जवान आतंकियों से लड़ता रहा। अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी 20 मिनट बाद ही मौके पर पहुंच सके। बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि रॉकी ने आतंकियों को उलझाए रखा और बीएसएफ जवानों से भरी बस पर आतंकियों को ग्रेनेड से हमला नहीं करने दिया।
 
एक आतंकवादी मौके पर ही मारा गया, जबकि एक अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया। रॉकी के साथी शुभेंदु रॉय भी इस हमले के दौरान शहीद हो गए। आतंकवादियों ने बस के टायर पर गोली मारकर उसे पंक्चर कर दिया था, जिससे बस आगे नहीं बढ़ सकी।
 
शीर्ष बीएसएफ अधिकारियों ने जवान के साहस की तारीफ की। हरियाणा में रॉकी के गांव में शोक का माहौल है। हरियाणा के यमुनानगर जिले के रामगढ़ माजरा गांव में बीएसएफ काफिले पर आतंकी हमले की खबर पहुंचने के बाद से ही जीवन ठहर सा गया है। 
 
बीएसएफ ने अपने शहीद जवान को 'गार्ड ऑफ ऑनर' देकर पार्थिव शरीर को उनके गांव रवाना किया। रॉकी की बहन नेहा और भाई रोहित को अपने भाई की शहादत पर गर्व है। बहन ने बचपन की बातें शेयर कीं। उन्होंने कहा कि रॉकी मुझसे कहता था कि पता नहीं मां ने मेरा नाम रॉकी क्यों रखा। भाई ने कहा कि रॉकी बहुत बहादुर और जांबाज था।
 
इस जांबाज जवान के पिता प्रीतपाल ने कहा कि उनका बेटा दो सप्ताह पहले तक उनके साथ था। उन्हें इस बात का तनिक भी अहसास नहीं था कि ऐसा होगा। उन्होंने साथ ही कहा, मेरा गांव और पूरा देश गौरवान्वित है कि मेरे बेटे ने राष्ट्र के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया।

शहीद के गांव रामगढ़ माजरा में मौजूद पुलिस उपाधीक्षक सुभाष चंद ने बताया कि रोहित भी सैन्यबल में भर्ती होने के लिए प्रयास कर रहा है जबकि नेहा एक नर्सिंग कोर्स कर रही है। उन्होंने बताया कि रॉकी ढाई वर्ष पहले सशस्त्र बल में भर्ती हुआ था।
 
शहीद के गांव में लगभग 700-800 वोटर हैं और लोग उसे श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उसके घर पहुंच रहे हैं। चंद ने बताया, परिवार के सदस्य और गांव वाले दुखी हैं। साथ ही शहीद की बहादुरी के लिए उसे नमन कर रहे हैं। ग्रामीण उसके द्वारा दी गई कुर्बानी को लेकर गौरवान्वित हैं।
 
शुभेंदु रॉय की बहादुरी : उधर जलपाईगुड़ी में आतंकी हमले में रॉकी के साथी शुभेंदु रॉय भी शहीद हो गए। उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल हुआ जा रहा है जबकि वृद्ध पिता को शहीद बेटे का इंतजार है। रॉकी एक ओर जहां आतंकियों को गोलियों की बौछार से 20 मिनट तक रोक रहे थे, वहीं दूसरी तरफ शुभेंदु रॉय भी बस का दरवाजा कसकर पकड़े हुए थे। यदि बस का दरवाजा खुल जाता तो संभव था कि कई जवान मारे जाते। दरवाजा बंद होने के कारण आतंकी द्वारा फेंका गया ग्रैनेड बस के बाहर ही फटा। 
 
रॉकी ने पूरी मैगजीन खाली कर दी : बीएसएफ के अधिकारियों ने बताया कि रॉकी ने ही एक आतंकी को ढेर किया क्योंकि पूरी बस में हथियार सिर्फ रॉकी के पास ही था और उसने शहीद होने के पूर्व पूरी मैगजीन खाली कर दी। इस हमले में बीएसएफ के 11 जवान भी घायल हुए हैं, जिनका उपचार किया जा रहा है।
 
शहीदों को संसद का सलाम : उधर संसद में आज स्पीकर सुमित्रा महाजन और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने देश के लिए शहीद हुए दोनों जांबाजों को श्रद्धाजंलि देने के साथ ही उनकी बहादुरी को सलाम किया। राजनाथ सिंह ने कहा ‍कि शहीदों के परिजनों को नौकरी के साथ ही बहादुरी का पुरस्कार देने पर भी सरकार विचार करेगी। 
 
आतंकी के बदनसीब पिता से डेढ़ मिनट की बातचीत : इसी बीच अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स' ने पकड़े गए आतंकी मोहम्मद नावेद याकूब से उसके पाकिस्तान में दिए गए नंबर पर बात की। यह नंबर उसके पिता याकूब का था। 
 
फोन लगते ही याकूब ने कहा कि आप भारत से हैं? लश्कर हमारे पीछे पड़ा है, हमारी जान को खतरा है... हां, मैं उस बदनसीब का पिता हूं। लश्कर नहीं चाहता था कि नावेद जिंदा बचे। मेहरबानी करके उसे छोड़  दीजिए...

हिंदुस्तान टाइम्स ने पकड़े गए आतंकी के पिता से 1 मिनट 20 सेकंड तक बातचीत की। बाद में जब याकूब के नंबर पर फोन लगाया गया तो नंबर स्विच ऑफ आता रहा। (वेबदुनिया/भाषा) 
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