नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनावों को लेकर चुनाव प्रचार के लिए राजनीतिक दलों की रैलियों के आयोजन में विभिन्न शर्तें लगाए जाने के राज्य उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
आयोग ने चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक रैलियों के दौरान सीमित संख्या में लोगों के एकत्र होने की अनुमति देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। आयोग को चुनाव कराने के लिए संविधान के तहत शक्तियां प्राप्त है।हालांकि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर राज्य में विधानसभा उपचुनावों के लिए उम्मीदवारों द्वारा घूम-घूम कर निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार करने पर सख्त पाबंदियां लगा दी हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा कि राजनीतिक दलों को लोगों को एकत्र कर रैलियां करने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। साथ ही, निर्वाचन आयोग से यह प्रमाण पत्र लेना होगा कि ‘वर्चुअल’ माध्यमों से चुनाव प्रचार संभव नहीं है। इसके अलावा राजनीतिक दल को रैलियों में उपस्थित होने वाले लोगों के लिए मास्क और सैनिटाइजर खरीदने के वास्ते पैसा जमा करना होगा।
निर्वाचन आयोग ने उच्च न्यायालय के आदेश पर कहा है कि चुनाव कराना और उसके प्रबंधन की देखरेख आयोग द्वारा संविधान के अनुच्छेद 329 के तहत की जाती है। यह अनुच्छेद निर्वाचन प्रक्रिया के बीच में न्यायिक हस्तक्षेप पर रोक लगाता है।
उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली आयोग की याचिका में कहा गया है कि चुनावी रैलियों या सभाओं पर निर्वाचन आयोग के कोविड-19 से जुड़े दिशानिर्देश इसकी (आयोग की) शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 25 सितंबर को तैयार किए गए थे। याचिका में कहा गया है कि दिशानिर्देशों और मानक संचालन प्रक्रिया के मुताबिक 100 से अधिक लोगों की भीड़ वाली राजनीतिक सभाओं की अनुमति (कोविड-19 से) सुरक्षा उपायों के साथ दी जाएगी।
आयोग के अलावा ग्वालियर सीट से उपचुनाव लड़ रहे भाजपा के एक उम्मीदवार ने भी शीर्ष न्यायालय का रुख कर उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें अदालत ने राजनीतिक दलों को ‘वर्चुअल’ माध्यम से, न कि लोगों को एकत्र कर, प्रचार करने का निर्देश दिया था। यह याचिका भाजपा उम्मीदवार एवं राज्य के मौजूदा ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने दायर की है।
राज्य में विधानसभा की 28 सीटों पर होने जा रहे ये उपचुनाव सात माह पुरानी शिवराज सिंह सरकार के भविष्य का फैसला करेंगे। कांग्रेस के 22 (जिनमें से 19 ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन किया था) और बाद में तीन अन्य विधायकों के दल-बदल कर जाने के कारण 25 सीटें रिक्त हुई थीं। वहीं तीन अन्य सीटें मौजूदा विधायकों की मृत्यु हो जाने से रिक्त हुई हैं।(भाषा)